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कबीर दास एक संत जिन्हे परमेश्वर का अवतार माना गया , जिन्होंने अंतिम समय मे साबित किया कि ईश्वरीय शक्ति है और हिन्दू हो या मुसलमान दोनों ने साक्षात दर्शन कि कबीर जा कहाँ रहे हैं ?

मगहर मे कबीर दास ने कहा कि देखना मैं जाता कहाँ हूँ ? हिन्दू-मुस्लिम धर्म को मानने वाले मुख्य लोग नदी के किनारे खड़े देखते रहे कि कबीर आकाश से भी उच्च लोक मे चले जा रहे हैं , जिसे सतलोक कहते हैं।

दान पात्र

यह प्रचलित है कि पहले सूखी नदी मे उन्होंने पानी के स्रोत को जन्म दिया और फिर नदी मे एक चादर बिछाई गई जिसमे बैठकर कबीर दास ने देह त्याग की और लोगों ने जब चादर उठाई तो उससे पुष्प प्राप्त हुए !

उन पुष्प को आधे मुस्लिमों ने और आधे हिन्दुओं ने बांट लिए। इस तरह कबीर दास ने हिन्दू-मुस्लिम को झगड़ा ना करने का संदेश दिया और मगहर मे मरने वाले को नर्क नसीब होता है इस झूठ को खत्म कर बता गए कि कर्म अच्छे हों तो बनारस मे मरे या मगहर मे स्वर्ग ही मिलेगा।

इस तरह आडंबर के खिलाफ कबीर दास ने हमेशा रचनाओं के माध्यम से आवाज दी उनका संपूर्ण व्यक्तित्व और जीवन एक अवतार की भांति झलकता है। ऐसे तो उनके जीवन का किस्सा बहुत विस्तृत है लेकिन सारांश मे उनका जीवन मनुष्यों को बहुत बड़ी सीख देता है कि शांति और प्रेम से जीवन जीने मे मानव जाति की भलाई है।

सामाजिक सद्भाव व एकता और धर्म शांति का संदेश देने वाले संत को मानव जाति प्रमाण करती है।

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