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गूगल सर्च किया गया कि कहीं किसी जिलाधिकारी ने किसी को ट्विटर व आज के एक्स पर ब्लाक किया हो तो इस मामले पर गहरा प्रकाश डाला जा सके जैसे कि कलेक्टर चित्रकूट सोशल एक्टिविस्ट व लीडर्स और जर्नलिस्ट को ट्विटर पर ब्लाक कर रहे हैं। बड़ा सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सम्मानित कलेक्टर चित्रकूट को ऐसा क्यों करना पड़ रहा है ?

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हाँ ! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से किए गए कार्यों के लिए जिलाधिकारी चित्रकूट अभिषेक आनंद सम्मानित हो चुके हैं। उनके एक्स एकाउंट के कवर पेज पर प्रधानमंत्री से सम्मानित होने की तस्वीर चस्पा है। इसी एकाउंट से लोकतंत्र का हनन करने वाली क्रिया – प्रतिक्रिया चर्चा का विषय बन रही है जिससे केन्द्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की छवि धूमिल होने का कोहरा लगातार पड़ रहा है।

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पिछले दिनों बुन्देलखण्ड गौरव महोत्सव मे चार बच्चों की मौत के मामले को उठाते हुए कांग्रेस नेता पंकज मिश्र ने ट्विटर पर लिखा कि मामले पर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई होनी चाहिए वह दोष स्वयं जिलाधिकारी पर भी सिद्ध होता है तो कार्रवाई होनी चाहिए। और भारत का सामान्य गणित भी यह इशारा करता है कि परिवार मे कोई घटना घटती है तो मुखिया को दोषी माना जाता है किन्तु प्रशासनिक मामलों मे तमाम टेक्निकल प्वाइंट रखे जाते हैं तो जांच प्रक्रिया का इंतजार अंधेरे मे ही जनता को करना पड़ता है इसलिए वह मांग करती है और प्रतिक्रिया जाहिर करती है लेकिन इसके बदले जिलाधिकारी चित्रकूट के एक्स एकाउंट से छात्र नेता / कांग्रेस लीडर पंकज मिश्र को ब्लाक कर दिया गया।

इस संबंध फोन द्वारा वार्ता मे उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि अगर एकाउंट व्यक्तिगत ” श्री अभिषेक आनंद का होता तो वह ब्लाक करते लेकिन वह शासन के प्रतिनिधि प्रशासक हैं इसलिए इस प्रकार की त्वरित गतिविधि सवाल करने वालों का मनोबल तोड़ने का उद्देश्य जाहिर करती है। “

एक और बड़ा सवाल है कि भारतीय संविधान राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को सम्मान से जीवन का लिखित रूप से वचन देता है और जिस प्रकार से ट्विटर पर कुछ जर्नलिस्ट और सोशल एक्टिविस्ट को ब्लाक किया गया उससे साफ जाहिर होता है कि यह भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार का हनन है जिसका हनन कोई भी प्रशासनिक अफसर नही कर सकता है क्योंकि वह अधिकारी ही इसलिए है कि वह जन जीवन के सम्मान का अधिकार दिलाएगा।

ट्विटर पर पत्रकार अभिमन्यु सिंह ने लिखा कि मैंने जनता के हित मे डीएम साहब को टैग कर सवाल किया तो कुछ घंटो बाद मेरा ट्विटर एकाउंट ही ब्लाक कर दिया गया , ऐसे अनेक अनोखे किस्से सामने आ रहे हैं कि किसी ने सड़क मे गड्ढे होने का मुद्दा उठाया तो डीएम चित्रकूट के ट्विटर एकाउंट से ब्लाक के गड्ढे मे डाल दिया गया।

इससे तमाम लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं कि केन्द्र मोदी सरकार हो या योगी सरकार हो सभी बड़े नेता ट्विटर हो या सोशल मीडिया का कोई भी प्लेटफार्म हो जनता से जुड़ने के लिए खासा प्रयोग करते हैं। यहीं प्रचार-प्रसार भी होता है और सरकार की गारंटी बार-बार दोहराई जाती है लेकिन डीएम चित्रकूट से सवाल करने का मतलब है ब्लाक करने की गारंटी पूरी।

सूत्रों के मुताबिक ऐसे बड़े अधिकारी का ट्विटर हैंडिल कोई कर्मचारी निर्देशानुसार चलाता है। वह सूचना विभाग का जनसंपर्क अधिकारी भी हो सकता है या फिर कोई भी सहयोगी अधिकारी जो ऐसा कार्य कर रहे हों जिसका संज्ञान डीएम चित्रकूट को ना हो लेकिन यह भी डराने वाला मामला है कि बिना जिलाधिकारी से पूछे कोई कर्मचारी ट्विटर हैंडिल से समाज के सम्मानित नेता , सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार को ब्लाक कर सकता है !

कुल मिलाकर इस प्रकार की तस्वीर सामने आने से हर किसी का लोकतंत्र से भरोसा उठता जा रहा है। इसके पहले लोगों को डीएम पर सबसे बड़ा भरोसा होता था कि कुछ नही तो डीएम साहब से कह देंगे तो होश ठिकाने हो जाएंगे लेकिन यहां सवाल करने वालों और आवाज उठाने वालों के होश ठिकाने किए जा रहे हैं जैसे कि सांकेतिक हैसियत तय की जा रही हो।

वहीं इसी ट्विटर हैंडिल पर सरकार के तमाम कार्यों और बतौर जिलाधिकारी द्वारा किए जा रहे तमाम कार्यों का वर्णन काले अक्षरों मे खूब किया जाता है और लोगों से रिट्विट व प्रशंसा वाले काले अक्षरों की उम्मीद भी की जाती है तो असल मामला प्रशंसक और आलोचना करने वालों के बीच का बनता है जो प्रशंसक होगा वो अनब्लाक रहेगा जो चार बच्चों की मृत्यु जैसे संगीन मामले एवं जनहित की आवाज उठाएगा उसे आलोचक मानकर ब्लाक कर दिया जाएगा।

( यह विश्लेषण सोशल काकटेल व अंतस की आवाज के लेखक व पत्रकार सौरभ द्विवेदी द्वारा सर्वाधिकार सुरक्षित )

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