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By – Akhilesh narayan & mubarak ali.

मुसलमानों का एक बड़ा तबका न जाने क्यूं भारत की वर्तमान सत्तासीन सरकार से भयाक्रान्त है।उन्हें ऐसा लगता है कि इस सरकार में उनकी पहचान और भविष्य सुरक्षित नहीं है। उनकी इस धारणा के पीछे आखिर वजह क्या है ?

हिन्दू कट्टरवाद का उभार ?

भाजपा की नीतियां ?

भाजपा का छुपा एजेंडा ?

मुस्लिमों की उपेक्षा ?

मुस्लिमों का शोषण और दमन ?

या कुछ और ?
कौन से ऐसे कारण हैं कि मुस्लिम इस सरकार को पसंद नहीं करते ?

क्या ये सच है कि मुसलमान भाजपा को हराने के लिए वोट करते हैं ?

इस सारी तस्वीर और मुस्लिमों की आशंकाओं की वजह क्या है ?
पिछले तीन वर्षों में मैंने ये नहीं देखा कि सरकार ने किसी हिन्दू एजेंडे को पूरा करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों से कहीं छेड़छाड़ की हो। हाँ जो चीज बदली है वो ये है कि मुस्लिमों के लिए किसी विशेष दर्जे या रियायत की घोषणा नहीं की गई।
मेरे मन मे इस विषय पर लिखने का ख्याल कैसे आया इसे आपको बताना मुझे आवश्यक लगता है। आज सुबह मैंने अपने फेसबुक साथी श्रीमान Mubarak Ali जी की एक पोस्ट पढ़ी।इसे पढ़ने के बाद मैं सोच में पड़ गया।इतने आधुनिक और राष्ट्रवादी विचारों वाला इंसान आज के हालात को देखकर व्यथित होने के साथ ही साथ बेहद मायूस भी है…..आखिर क्यों ?
पहले आप इनकी पोस्ट पढ़िए –
” 47 में जब बंटवारा हुआ था, मैं पैदा भी नहीं हुआ था.
84 में मैं एक साल का था, और दंगा शब्द का मतलब भी नहीं जानता था. 
92 में जब बाबरी गिराई गई, मैं स्कूल में था और तब तक अखबार पढ़ने की आदत नहीं डली थी.
93 में जब मुम्बई बम धमाके हुए, मुझे इतना याद है कि आसपास के लोग चिंतित थे. मैं भी.
2002 में पहले गोधरा और बाद में गुजरात में हुई घटनाओं पर कॉलेज की मंथली मैगज़ीन में एक लेख लिखा था. मराठी में.
2008 में मुम्बई पर अटैक हुआ. दो दिन तक साँसे थमी रही. जब तीसरे दिन हेमंत करकरे या विजय सालस्कर में से किसी एक की बेटी टीवी पर अपने पापा के लिए रो रही थी, उसके साथ-साथ मैं रो रहा था. घरवाले परेशान हो गए थे.
2013 में केदारनाथ त्रासदी हुई. मेरे ऑफिस में बॉस से मिलने उनके एक रिश्तेदार मुल्लाजी आए थे. कहने लगे ये अल्लाह का अज़ाब है, जो सिर्फ काफिरों पर टूटा है. उनसे ऐसी तगड़ी बहस हुई कि वो मुझे मारने दौड़े थे.
2016 में जब मालदा में कमलेश तिवारी मुद्दे पर मुस्लिम समाज दंगाई बना सड़कों पर था, मैं इसी फेसबुक पर गालियां खाता हुआ उसके विरोध में लिख रहा था.
डॉ नारंग, अख़लाक़, जुनैद सबकी मौतों ने आंदोलित किया है मुझे. मेरा गला सूख जाता है, जब भी किसी की ज़िन्दगी छीन लिए जाने की बात सुनता हूँ. पठानकोट, सुकमा, अमरनाथ, पेशावर के बच्चे, और पता नही क्या क्या… 
मैंने अपनी तमाम ज़िन्दगी में किसी हत्यारे को डिफेंड नहीं किया. ‘लेकिन’, ‘किन्तु’, ‘परंतु’, ‘बट’, ‘मगर’ लगाकर भी नहीं. मैंने बहुत गालियां खाई हैं यहाँ. मुझे गालियां देने के बाद भी, वाहियात शब्दों में मेरा अपमान करने के बाद भी लोग बने रहे मेरी लिस्ट में. धीरे-धीरे मैं उस स्टेज तक आ पहुंचा, जहाँ गालियों से वाकई फ़र्क नहीं पड़ता. लेकिन जिस चीज़ से मुझे फ़र्क पड़ रहा है वो है लोगों के अंदर दबी हुई लहू की प्यास. कितने ही ऊपर से सभ्य दिखते लोग खूंरेज़ी को पूरी बेशर्मी से डिफेंड कर रहे हैं. 
आज दिन में दो बार रोया हूँ मैं. इसलिए नहीं बता रहा कि हमदर्दी चाहिए. इसलिए बता रहा हूँ कि मायूसी बेहद बढ़ गई है. कलम टूट जाएगी एक दिन.”
मुझे लगता है जो दृश्य मुबारक अली जी को परेशान कर रहा है वो भारत की हक़ीक़त नहीं है।ये सारा परिदृश्य सोशल मीडिया का है। वोटों के खेल में बहुत सारी चीजें चारों ओर दौड़ रही हैं या यूं कहिए कि उन्हें दौड़ाया जा रहा है।हिंसा और प्रतिहिंसा की खबरे जमीन पर अगर इक्का दुक्का हैं तो मीडिया में इनका बाजार है,इसी का कारोबार है।इसका एक बड़ा कारण भाजपा विरोधी दलों का मुसलमानों के इर्दगिर्द जमा होना है। मैं चुनौती देकर कहना चाहता हूँ कि भाजपा के अलावा इस समय कोई ऐसा राजनैतिक दल नहीं है जो इस देश के हर नागरिक को आगे ले जाने की बात कर रहा हो !

मुझे तो कोई दूर-दूर तक नजर नहीं आता।
मैं इस देश के सारे मुसलमानों से कहना चाहूंगा कि आप भाजपा का विरोध न करके तुष्टिकरण का विरोध कीजिए। 
हिन्दू कभी किसी को भगाने हटाने मरने-मारने की बात नहीं करता।किसी माई के लाल में ये हिम्मत नहीं को वो इस देश के मुस्लिमों का अहित कर पाए।हिन्दू कट्टरता एक तरह की प्रतिक्रिया है मुसलमानों के खिलाफ नहीं,उन बड़े हिन्दू राजनेताओं के खिलाफ जिन्होंने सत्ता पाने के लिए मुसलमानों को मोहरा बनाया है।जिस दिन मुसलमान इन नफ़रत की राजनीति करने वालों से सवाल पूछने लगेंगे और उनका जवाब न दे पाने वालों से नफ़रत करेंगे,स्थितियां पूरी तरह से बदल जाएंगी।
आप इनसे पूँछिये के आज़ादी के बाद के इतने वर्षों में इन्होंने ऐसा क्या किया है जिससे आपकी गरीबी बेरोजगारी सेहत और शिक्षा के मोर्चों पर तब्दीली नजर आयी हो। ये हिंदुओं का डर दिखाकर आप से वोट लेंगे ?

इनको आईना दिखाइये,इन्हें धक्का मारिये जिससे इनको इनकी औक़ात पता चल जाय।आप नजर तो दौड़ाइये ये फिर आपके इर्दगिर्द जमा हो रहे हैं।आप दृष्टि बदलिए हिन्दू कट्टरवाद की हवा निकल जायेगी।इस देश की संस्कृति आपकी संस्कृति है।इस देश की विरासत भी आप ही की है और आपका इससे अभिन्न रिश्ता है।

सोच बदलिए सबकुछ बदल जायेगा। मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि इस मुल्क को बनाने में आपका भी योगदान कम नहीं है।सारी चिन्ता और आशंकाओं को निकाल फेंकिये।

भारत में आप पूरी तरह सुरक्षित हैं और आपका भविष्य भी।

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