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सेक्स कितना सताता है ? एक अकेले पुरुष को भी संभोग बार – बार परेशान करता है। यह एकदम प्राकृतिक है वह स्त्री हो या पुरूष। अब औरत के बारे मे नही पता क्योंकि एक पुरुष औरत के हाल क्या बताएगा ?

पर यह हकीकत है कि आदमी जिंदगी सेक्स के लिए ही होती है। ये इंद्री सबसे ज्यादा सताती है आदमी। इस पर बातें होनी चाहिए। खुलकर होनी चाहिए।

चूंकि लगता है कि कितनी तड़प है जो अपने आप ही उठती है। अब हर कोई वेश्यालय नही जा सकता पैसे देकर सुख नही पा सकता। पसंद की भी बात होती है कि पैसे देकर किए जाने वाले सेक्स मे सुख मिलता है कि नही !

चूंकि संभोग मे प्रेम होना अनिवार्य है। स्नेह होना अनिवार्य है। स्त्री को बहुत प्यार करने वाला पुरूष चरमसुख तक ले जाता है। संभोग मे भी अध्यात्म है अगर कलात्मक ढंग से किया जाए।

चाहत होनी चाहिए कि देह दिव्य है उसे समर्पण से भोगना है। सहलाना ऐसे जैसे मखमल हाथ मे हों क्योंकि नोचना नही चाहिए नोचने का काम एक वहसी करता है , दरिंदा करता है और ऐसे ही लोग बलात्कारी होते हैं।

संभोग पर एक विशेष कालम लिखा जाना चाहिए जहां स्त्री – पुरूष को सुख मिले। जो लोग की जिंदगी ऐसे ही प्यार की तलाश मे हैं उनको एक दुनिया मिल सके। वे एक्सप्लोर कर सकें और सही जानकारी पा सकें अपने साथी को पहचान सकें।

स्त्री जितना प्रेम चाहती है पुरूष भी उतना ही प्रेम चाहते हैं तब ऐसी स्थिति मे श्रद्धा से संभोग होता है दोनों की एक दूसरे पर श्रद्धा हो एक माहौल बने फिर अंधेरे मे भी जगमग हो जाएगा देह के अंदर प्रकाश उठने लगेगा और यकीनन बहुत अच्छा लगेगा।

इसलिए जीवन को सिद्ध करने के लिए अद्भुत आनंदित कर देने वाला चरमसुख जरूर महसूस करें और ऐसे साथी को एक्सेप्ट करें जो आपसे भावनात्मक लगाव रखता हो। जिंदगी मे एक पल का सुख आदमी हो या औरत दोनों को तन मन और आत्मा से विकसित करता है।

” कोई सवाल हो या कोई किस्सा जरूर लिखिए मैं अनाम सा शख्स आपका जवाब और आपका किस्सा जरूर लिखूंगा। ” ।

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