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By :- Bhagwant anmol

सन 2000 सितम्बर का महीना, जब मैं क्लास थर्ड में पढ़ रहा था. तब नैरोबी में अजेय ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक नए लड़के ने हरा दिया था. नाम था ‘Y SINGH’. जब पूरा नाम जाना तो पता चला वह युवराज सिंह है. जैसे जैसे मेरी बाली उमर की उमर बढ़ रही थी, युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट टीम के युवराज बनते जा रहे थे. मेरी उमर और उनका करियर साथ बढ़ रहा था. वह सचिन तेंदुलकर के बाद मेरे सबसे चहेते खिलाड़ी थे. आज उन्होंने आखिर रिटायरमेंट ले ही लिया. उनके करियर को बड़ा नजदीक से देखा है मैंने. उनपर और धोनी पर एक तुलनात्मक लेख लिखा था। शेयर कर रहा हूँ-

” वक्त के साथ आत्मविश्वास या तो घटता है या फिर बढ़ता है. आप जीवन पथ पर आगे बढ़ जाते है या फिर पीछे चले जाते है और एक स्थान पर रुक जाते है. आत्मविश्वास की कमी ही हमें अधिकतर ठहरने के लिए प्रेरित करती है. मुझे इसका सबसे बढ़िया उदाहरण धोनी और युवराज सिंह की जोड़ी लगती है. लगभग हम उम्र, एक समय भारतीय क्रिकेट टीम की चहेती जोड़ी, परन्तु आज धोनी टीम में सिहांसन की तरह विराजमान है और युवराज दरबार से ही गायब है.

आइये ले चलता हूँ आपको उस वक्त जब दोनों अपने करियर के पीक पर थे. सन 2011, धोनी कप्तान के रूप में 28 साल बाद कोई विश्व कप जीतते है और युवराज को विश्व कप में ‘मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट’ का अवार्ड दिया जाता है. शायद हर कोई क्रिकेट इसीलिए खेलना शुरू करता है कि वह भारतीय टीम का हिस्सा बन सके. अगर उसके बाद वह विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा बन जाए तो सोने पे सुहागा सुहागा जैसा. गांगुली, द्रविड़ और लारा जैसे क्रिकेटर विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा भी नही बन पाए. परन्तु अगर वह खिलाड़ी विश्व कप विजेता टीम का कप्तान हो या फिर उसे उस टूर्नामेंट का सर्वश्रेठ खिलाड़ी घोषित कर दिया जाए तो यह ऐसी बात है जो सपने में भी अगर देखी जाए तो व्यक्ति स्वप्न में ही इसका विरोध कर देगा.

यह लगभग वैसी ही स्थिति होती है जैसे “आज मैं ऊपर आसमान नीचे.” इसके बाद आपका आत्मविश्वास इतना ऊपर चला जाता है और आपको खोने के लिए कुछ नही बचता. आपको साबित करने के लिए कुछ नही बचता. आप निडर होकर खेल सकते है. आप नए प्रयोग कर सकते है. अगर सफल होते हो तो वाह वाही मिलती है, असफल होते हो तो माफ़ कर दिए जाते हो. धोनी इसी परिस्थिति में आगे बढे. उनके नए प्रयोगो से उन्हें अधिक सफलता मिली परन्तु अगर वे असफल भी हुए तो उन्हें टोका नही गया. उनपर उंगलियाँ कम उठी. वहीँ दूसरा खिलाड़ी जो ठीक वैसे ही प्रदर्शन कर सकता था, निडरता से खेल सकता था. कैंसर से झूझ पड़ा. अपनी ज़िन्दगी और मौत के बीच लड़ने लगा. वापसी करनी पड़ी फिर से खुद को साबित करना था. वहीँ धोनी के प्रयोग सफल हो रहे थे. चैंपियंस ट्राफी जीत चुके थे. उसका आत्मविश्वास बुलंदियों पर था, वहीँ युवराज सिंह को एकबार से खुद को समेट कर दिखाना था कि उसके अन्दर अभी भी दम है. ऐसी स्थिति में आप सबकुछ बटोर कर अच्छा करते हो तो बढ़िया चलता है परन्तु एक भी गलती आपके आत्मविश्वास को हिलाकर रख देती है. ऐसा ही कुछ हुआ युवराज सिंह के साथ. टी-20 विश्व कप 2014 से ठीक पहले चार मैच में से तीन मैच में मैन ऑफ़ द मैच रहे थे युवराज सिंह. फाइनल मैच से एक मैच पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी मैन ऑफ़ द मैच थे, परन्तु फाइनल में 21 गेंद में 11 रन की पारी सब कुछ ले डूबी. ऐसे कई मैच धोनी ने भी खेले परन्तु वे मैच इतने महत्त्वपूर्ण नही थे. उन्हें माफ़ कर दिया गया पर युवराज को विश्व कप फाइनल के मैच की माफ़ी नही मिली. टीम से बाहर कर दिया गया. उसके घर में पत्थर फेंके गए पुतले जलाए गए. आत्मविश्वास टूट गया, फिर से उसने खुद की हिम्मत जोड़ी वापसी की ठानी, फिर से उसे एक बार साबित करना था. आज उसने रिटायरमेंट ले लिया है. वहीँ एक व्यक्ति है जो आत्मविश्वास से लबरेज है, उसे साबित करने की जरूरत नही है, वह प्रयोग कर रहा है, निडर होकर खेल रहा है. जीत रहा है, वह धोनी है. धोनी तुम्हे एक बार फिर से विश्व कप जिताना है.

वक्त वक्त की बात होती है कोई धोनी बन जाता है और कोई युवराज बाहर हो जाता है. धोनी से आत्मविश्वास की सीख मिलती है और युवराज से हार न मानने की. पर हर बच्चा युवराज नही हो सकता, हर किसी का वक्त धोनी की तरह आगे नही बढ़ सकता. हमें दोनों तरह की चीजों के लिए तैयार रहना चाहिए.

इसी तरह हमें भी अपने बच्चो की गलतियों को टोकने के बजाय उनका उत्साहवर्धन करने की जरुरत है. उनके आत्मविश्वास को आगे ले जाने की जरुरत है. हमें भी अपने बच्चो को धोनी बनाने की जरुरत है. परन्तु उन्हें सब कुछ उनके हाथ में उपलब्ध कराने की जरुरत नहीं है, वक्त कभी भी उनसे उठकर फिर से साबित करने को कहे तो उनके अन्दर इतनी जिजीविषा होनी चाहिए कि वह फिर से उठकर युवराज सिंह बन सके.

( लेखक ” द परफेक्ट लव ” से जिंदगी 50-50 तक का सफर तय कर चुके हैं , इस बीच उन्होंने सफलता के अनमोल रहस्य भी लिखी तो एक रिश्ता बेनाम सा में लेखनी का जादू लुभाता है , कुल मिलाकर 5 किताबों के साथ अब आगामी किताब ” बाली उमर ” अबकी बरसात में बारिश का आनंद देगी )

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