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@Saurabh Dwivedi

विधायक आनंद शुक्ला के राजनीतिक विरोधी इनका विरोध सोशल मीडिया पर करते रहते हैं। विधायक के विरोध में विरोध की लक्ष्मण रेखा पार करने वाले विरोधी विधायक की तरह सेवा कार्य करते हुए नजर नहीं आते। अकल्पनीय तथ्य है कि किसी ने सोचा नहीं रहा होगा कि जनपद में कोरोना पेशेंट से मिलने की जिम्मेदारी भी किसी नेता या विधायक की है। यह भी सच है कि अब तक कोई भी कोरोना संक्रमित से इस तरह मिलने नहीं पहुंचा। जहाँ जिंदगी को खतरा बिजली के करंट से ज्यादा हो वहाँ विधायक का संक्रमित से मिलने की घटना तैंतीस हजार बोल्ट के करंट से ज्यादा बड़ी चर्चा क्यों बन गई है ?

असल में विधायक आनंद शुक्ला समय-समय पर ऐसे कार्य कर जाते हैं कि घर – घर की जुबान में आनंद नाम की चर्चा होने लगती है। वैसे नाम का संयोग भी है कि विपक्षी भी आनंद नाम लेते हैं तो पल भर के लिए सही आनंद शब्द से उनका हृदय भी आनंदित हो जाता है , ऐसा इसलिए कि शब्द ब्रह्म होता है यदि नाम राक्षस राज रावण का लें तो मन में पल भर के लिए राक्षसी विकृति जन्म ले लेगी और यदि नाम आनंद का लें तो पल भर के लिए सही मन में आनंद की प्रवृत्ति बन जाती है। आनंद शब्द ऊर्जा का संचार करता है और यही वजह कही जा सकती है कि विपक्ष को कथित विरोध मे भी आनंद मिल जाता है।

हाल ही में आनंद शुक्ला वायरस से संक्रमित जनता के बीच अस्पताल पहुंच गए। उनके अस्पताल में पहुंचने और संक्रमितों से हालचाल लेने की तस्वीरें खूब वायरल हुईं। सच है कि जनपद चित्रकूट में यह अविश्वसनीय घटना है। जहाँ सबको अपनी जान – अपने परिवार की फिक्र है , वहीं विधायक मानिकपुर जान पर खेल कर कर्तव्य निर्वहन हेतु निकल पड़े।

एक जनप्रतिनिधि का कर्तव्य है कि वह महामारी की चपेट मे आई जनता का हालचाल ले और उनका मनोबल बढ़ा सके। उनके परिवार से मिलकर साहस प्रदान कर सके और ऐसा ही कुछ विधायक करते नजर आ रहे हैं।

शुरूआती दिनों से ही इन्होंने मोर्चा संभाला तब भी विरोधियों के निशाने पर थे। किन्तु कटु सत्य है कि इनकी तरह जमीन पर उतरकर हवा – हवाई विरोध करने वाले सेवा नहीं कर सके। यूं तो इनके विरोधियों की गुपचुप सूची लखनऊ – दिल्ली मे विचरण करने वाले सरकारी प्रश्रय प्राप्त नेताओं की भी कम नहीं है परंतु सेवक बने हुए विरोधी सेवा करते नजर नहीं आए। यही दुखद पहलू कहा जा सकता है कि विरोध  सिर्फ नकारात्मक रह गया है अन्यथा सेवा का जवाब सेवा ही होना चाहिए।

इधर विधायक के समर्थक उनके इस कदम से खासे उत्साहित नजर आए। उनके कुछ एक समर्थक बड़े भाई और भगवान होने का दर्जा भी देने लगे हैं , यह उन समर्थकों का निजी मत है। यह सच है कि चित्रकूट की राजनीतिक फिजा में बदलाव के लिए आनंद शुक्ला की कार्यशैली की मुख्य भूमिका रहेगी , जब कभी चित्रकूट के राजनीतिक इतिहास की चर्चा होगी तब महामारी का समय और आनंद का सेवा भाव मुख्य चर्चा का विषय होगा। इसलिए सभर्थक कार्यकर्ता मनोज तिवारी और रिंकू पांडेय जैसे युवा अपने विधायक की प्रशंसा में पीछे नहीं हटते।

यह आम चर्चा है कि मऊ – मानिकपुर विधानसभा से परे क्षेत्र जनपद चित्रकूट की गली और चौराहे में आम जुबान में इनकी कार्यशैली की खूब चर्चा है। बड़ा सत्य है कि जनता देख रही है और इनके सेवा भाव व कार्य करने की क्षमता से खासी प्रभावित है।  यह कल्पनीय है कि खोह जनपद चित्रकूट स्थित कोविड हास्पिटल में विधायक के पहुंचने से संक्रमित व्यक्तियों का उत्साहवर्धन हुआ है।

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Saurabh Chandra Dwivedi
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