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Written by – Saurabh Dwivedi

समाजसेवा एक ऐसा पुण्य प्रयास है जिसमें त्याग और समर्पण का भाव आत्मसात करना आवश्यक होता है। जिसने भी इस भाव को आत्मसात कर लिया वही नारायण का मानस पुत्र हो जाता है। धरती पर साक्षात ईश्वरीय निमित्त ऐसे ही व्यक्तित्व का व्यक्ति होता है। एक ऐसा ही व्यक्तित्व चित्रकूट की सरजमीं में अशोक दुबे के रूप में ईश्वर ने समाज को समर्पित किया है। समाजसेवा के क्षेत्र में गुपचुप तरीके से काम करने के मामले में इनका कोई सानी नहीं है। ये आंकडों का खेल नहीं खेलते और शब्दों की बाजीगरी से स्वयं को समाज के सामने बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत नहीं करते। 

हालांकि ऐसे व्यक्तित्व अनुकरणीय होते हैं और मेरे ही मन की प्रेरणा थी कि ऐसे व्यक्तित्व के बारे में लिखकर धन्य हो जाऊं। क्योंकि इस प्रकार के प्रेरक प्रसंग और प्रेरक व्यक्तित्व से प्रेरणा हर किसी को प्राप्त होती है। 

इस प्रकार से जब नारायण सेवा संस्थान उदयपुर को इनके व्यक्तित्व का भान हुआ तब उन्होंने स्वयं इनके नाम को प्रस्तावित कर संस्था का गोल्ड एवार्ड देकर सम्मानित किया। 

जिस सम्मान की लालशा से स्वयं को दूर रखते हैं और अनेक बार यही कहे कि ईश्वर ने मुझे जिस योग्य बनाया है, मैं यथा सामर्थ्य के अनुसार गरीब और मजबूर लोगों के लिए करता रहना चाहता हूँ। मुझे किसी भी प्रकार के सम्मान की विशेष चाहत नहीं है। 

नारायण सेवा संस्थान जो कि अपने आप में समाजसेवा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित स्थान रखता है। उन्होंने आग्रह करके ऐसे व्यक्तित्व को सम्मानित कर सभी चाहने वाले लोगों के मनोबल को बढ़ाया है। वास्तव में इससे बड़ी खुशी की बात कुछ और नहीं हो सकती कि नि:स्वार्थ भाव से मदद करने वाले व्यक्ति को सम्मान मिले। इस पुरस्कार प्राप्ति के दौरान अशोक शुक्ला, सुरेश तिवारी एवं दीपक शुक्ला ने अपार खुशी जताई। इनके चाहने वालों ने भी ईश्वर का शुक्रिया अदा किया। 

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