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@Saurabh Dwivedi

मनी माइंडेड हिन्दुत्व और पालिटिकल माइंडेड हिन्दुत्व को भी समझिए।

जब धन कमाने की बात आती है तब आपका हिन्दुत्व कहाँ चला जाता है ?

राजनीति साधने के लिए पालिटिकल माइंडेड हिन्दुत्व चलाया जाता है।

घूस दबाव मे – दान ईश्वरीय इच्छा से.

कितना दुखद है यह जब किसी को जीवनयापन के लिए धन अर्जित करने की आवश्यकता हो तब जटिलता हिन्दुओं के पुरोधा हिन्दुत्व के कर्णधारों के माध्यम से आती है।

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सोचिए धन कमाने के नियम अलग हैं और राजनीति साधने के नियम अलग हैं। इस मामले मे हिन्दुत्व खो जाता है और यह खासतौर से राजनीति व राजनीतिज्ञों के आसपास ही हो रहा है।

व्यापार मे भी यही हाल हैं। इस मामले मे कोई भी ऐसे हिन्दुत्व की संरचना नही कर पा रहा है कि चलो तुम्हारी रोजी – रोटी भी चले।

चलो तुम भी फॉर्च्यूनर से चलो। यह अंतर सभी को समझना होगा। अन्यथा नुकसान अपना ही किया जा रहा है।

अथवा इस बात की घोषणा करिए कि यदि धन कमाना है तो हिन्दुत्व को भूल जाओ। इसका हिन्दुत्व से कोई मतलब नहीं है। इसका सनातन से कोई मतलब नहीं है।

सीधी बात है कि धन कमाने के मामले मे धन का ही महत्व है। धन है तो धन लगाकर धन कमा लो अन्यथा तुम कितने बड़े हिन्दुत्व वाले हो , चलोगे पैदल ही….

अपने राजनीतिज्ञों से इस संबंध मे संवाद स्थापित करिए। बड़े दुख की बात है कि यह अंतर स्पष्ट समझ आ रहा है , यही हिन्दुत्व और सनातन की कमजोरी है।

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