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@Saurabh Dwivedi

अधिसूचना लगते ही प्रशासन आचार संहिता का पालन कराने मे सक्रिय हो गया है। सोमवार को देर शाम वाल पेंटिंग कराने पहाड़ी ब्लाक मुख्यालय आए एसडीएम राजापुर से सीधी बातचीत हुई। जिसमे उन्होंने अधिकारी और पत्रकार की भूमिका पर सकारात्मक बातें कहीं।

हमसे सीधी बातचीत मे उन्होंने कहा कि अच्छी बात है जब एक पत्रकार खबर देता है। ऐसी कोई कमी बतलाता है जो वास्तव मे होना आवश्यक है। ऐसी खबरों से एक अधिकारी का ध्यान आकृष्ट होता है और मैं इसे सबसे अच्छी बात मानता हूँ।

उन्होंने कहा कि चुनाव आचार संहिता का पालन कराने मे पत्रकारिता की बड़ी भूमिका होगी। कहीं भी आचार संहिता का उल्लंघन होता नजर आए तो प्रशासन को खबर अवश्य दें। जिससे चुनाव आचार संहिता का सतप्रतिशत पालन हो सकेगा।

सामाजिक चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि एक रात मैं देर रात को घूम रहा था। वहाँ मुझे एक आदमी दिखा जो ठंड में ऊनी कपड़े नहीं पहने था और फुटपाथ पर था। मैंने गाड़ी रोककर उसे कंबल दिया जिससे उसे ठंड से अवश्य राहत मिली तो उनका कहने का मतलब था कि यही एक अधिकारी का कर्तव्य है। मुझे ऐसा करके आत्मीय सुख मिला क्योंकि एक इंसान सबसे पहले हूँ।

दान ईश्वरीय इच्छा से देते हैं.

सरकार की एक व्यवस्था है कि सभी गरीब जनों को कंबल दिए जाएं। उस एक व्यवस्था से एक गरीब को ठंड से बड़ी राहत मिली और अगर उसे कंबल नही मिलता व ठंड लगने से तबियत खराब होती या मौत हो जाती तो सोचिए मानवता को कितना बड़ा कलंक लगता। मानवता को जीवंत रखने के लिए हमे एक अवसर मिला है कि अधिकारी के रूप मे मानवीय कार्य कर लिए जाएं।

यही कार्य पत्रकारिता का भी है। पत्रकार मानवता के सेवक हैं। जहाँ कहीं किसी गरीब की समस्या हो या कोई जन समस्या हो ऐसी खबरें पत्रकार देते हैं तो यह मेरे लिए अत्यंत खुशी की बात है। मेरा काम सहायता करना है और खबरों के माध्यम से सहायता करना सरल हो जाता है।

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यह सच है कि एसडीएम राजापुर प्रमोद झा जैसी मानवीय सोच रखने वाले अधिकारियों से ही प्रशासन की अच्छी साख झलकने लगती है। ऐसे उच्च विचार रखने वाले अधिकारियों की वजह से वंचित वर्ग को लाभ मिलता है और हर किसी के साथ न्याय होता है। सभी की वास्तविक उम्मीदें पूरी हो पाती हैं। ऐसे अधिकारी संविधान और कर्तव्य के साथ न्याय करते हैं।

जिलाधिकारी चित्रकूट के निर्देशानुसार भ्रमण मे निकले एसडीएम राजापुर प्रमोद झा से खास मुलाकात और  चलते – चलते बातचीत में यह निष्कर्ष निकला कि यदि अधिकारी अच्छी सोच रखते हैं तो सचमुच समस्याएं हल होने के लिए ही होती हैं और कानून व मानवता का पालन आटोमोड पर होता रहता है।

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