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मुझे याद है कि परेशानी के दिनों मे जब दर्शन करने गया था तो 20 ₹ आशीर्वाद स्वरूप दिए थे , जो मुझे हमेशा याद रहता है और बहुत अच्छा महसूस होता है।

चित्रकूट के परमानंद जी महाराज कभी राजनीति नही करते और प्रधानमंत्री मोदी जी के करीबी होने का दिखावा भी नही करते , ना दावा करते हैं।

जबकि अनेक ऐसे संत हैं जो अपनी पीठ या धाम का आकर्षण पीएम मोदी के नाम से बनाए रखने की भरसक कोशिश करते हैं और हनक कायम रखते हैं।

चित्रकूट की एक पीठ और एक द्वार मे जमकर खींचतान चल रही है। दोनो जगह से बड़े नेताओं की बड़ी डीलिंग होती है। एक पीठ के संत चित्रकूट के कामतानाथ के द्वार मे दर्शन करने के लिए नेताओं को मना करने लगे हैं और बड़े बड़े नेता उनका कहना मानकर प्राचीन द्वार मे दर्शन करने जाते हैं परंतु उस प्रमुख द्वार से परहेज करते हैं।

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किन्तु परमधाम के परमानंद जी महाराज ऐसी राजनीति और राजनीतिक प्रभाव से खुद को बहुत दूर रखते हैं। पीएम मोदी परमानन्द जी महाराज को हमेशा नतमस्तक होते हैं लेकिन उन्होंने कभी ये नही जताया कि पीएम मोदी मेरे सखा हैं या करीबी हैं अथवा शिष्य हैं आदि अनादि विशेषण नही दिए।

परमानन्द जी महाराज राम मंदिर आंदोलन मे सबसे बड़ी भूमिका का निर्वहन भी कर चुके हैं। अद्वैत दर्शन मे सबसे अद्वितीय वर्णन करने के लिए जाने जाते हैं।

मुझे याद है कि परेशानी के दिनों मे जब दर्शन करने गया था तो 20 ₹ आशीर्वाद स्वरूप दिए थे , जो मुझे हमेशा याद रहता है और बहुत अच्छा महसूस होता है।

चित्रकूट मे अखंड परमधाम नाम से आरोग्यधाम के समीप आश्रम है जहां नवरात्रि के दिनों मे आते हैं तो इस समय चित्रकूट मे दर्शन कर सकते हैं। 

वायरल तस्वीर अयोध्या मे रामलला प्राण प्रतिष्ठा के अवसर की है जब सेलिब्रिटी से लेकर लगभग हर संत पीएम मोदी के नाम पर सबकुछ भुना रहा था। इसलिए प्रेमानंद महाराज के जैसे परमानंद जी महाराज सरीखे संत ही वास्तव मे भक्त और धार्मिक आध्यात्मिक लोगों का नेतृत्व करते हैं। इसलिए संत , मठ , धाम और पीठ की राजनीति से फर्क कितना साफ हो जाता है कि ऐसे संत हैं जो राजनीतिक प्रभाव जताकर समाज को प्रभाव मे लेना स्वीकार्य नही करते।

गुरूदेव को सादर प्रणाम

Written by saurabh dwivedi

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