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जिस रामचरितमानस की प्रतियां कभी स्वामी प्रसाद मौर्य ने फाड़ दी थीं और जातीय विध्वंस पैदा करने की कोशिश की थी आज उसी की वजह से भारत का सर गर्व से ऊंचा हुआ। संत तुलसीदास इस दुनिया मे देह से नही हैं किन्तु उनकी लिखी हुई रामचरितमानस से दुनियाभर को ज्ञान मिल रहा है इस वजह से विश्व के 38 देशों ने रामचरितमानस को साहित्यिक ग्रंथ स्वीकार करते हुए यूनेस्को के मेमोरी आफ द वर्ल्ड एशिया – पैसिफिक रीजनल रजिस्टर मे शामिल किया है।

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करीब दो वर्ष पूर्व चित्रकूट के कामतानाथ मे अर्चना उपाध्याय और नितिन उपाध्याय ने कामना की थी कि रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए लेकिन भारत मे यह संभव नही हो सका किन्तु यूनेस्को जैसी इंटरनेशनल संस्था ने यह मान लिया है कि रामचरितमानस विश्व के लोगों के स्मृति मे रहना चाहिए। उन्होंने यह माना कि यह एक ऐसा ग्रंथ है जो जीवन के लिए उपयोगी है।

इस वजह से रामचरितमानस को विश्व धरोहर का दर्जा मिल गया है। यह हिन्दू धर्म के राम भक्तों के लिए गर्व का विषय है जिसे वैश्विक बिरादरी मे बड़ी मान्यता मिली है इसकी वजह से राम काल्पनिक थे जैसी बातें हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी। क्योंकि रामचरितमानस मे राम के चरित्र का वर्णन है जिसे जीवन चरित्र मे अपनाया जाए तो हकीकत मे राम राज्य की स्थापना होगी।

अर्चना नितिन उपाध्याय ने बताया कि रामचरितमानस के साथ – साथ पंचतंत्र और सहृदय लोक लोकन को भी यूनेस्को के मेमोरी आफ द वर्ल्ड एशिया – पैसिफिक रीजनल रजिस्टर मे शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत देश का अगर कोई एक राष्ट्रीय ग्रंथ हो सकता है तो यह रामचरितमानस है। यूनेस्को के इस कदम से विश्वास हो रहा है कि जल्द ही भारत सरकार का रुझान इस ओर होना चाहिए और ऐसे ग्रंथ को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर सनातन का सम्मान बढ़ाना चाहिए।

इधर रामचरितमानस को वैश्विक धरोहर की मान्यता मिलते ही सनातन धर्म को मानने वाले तमाम लोग यह चर्चा करते हुए नजर आए कि एक बार मनुस्मृति का भी अध्ययन कर मंथन होना चाहिए। लोग यह भी कहते नजर आए कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल मे एक यह बड़ा अध्याय भी जुड़ गया कि राम मंदिर बनने के साथ रामचरितमानस को वैश्विक बिरादरी मे यादगार जगह मिली है। शायद यह कांग्रेस या अन्य किसी सरकार मे असंभव होता।

अर्चना नितिन उपाध्याय ने इस अभियान से जुड़े जय बजरंग सेना के सभी सदस्य वानर सेना का आभार व्यक्त किया है , चित्रकूट की कामदगिरि पीठ को भी आभार व्यक्त किया है और जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज का भी जिन्होंने रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने की मांग सीधे प्रधानमंत्री मोदी से कही थी।

अर्चना और नितिन पति पत्नी हैं जो जय बजरंग सेना नाम का संगठन साथ मिलकर चलाते हैं और दोनो ही इस ग्रंथ को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने का अभियान तन्मयता से जारी रखे थे।

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