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लखनऊ के पुस्तक मेले से खबर मिली कि वहाँ

मुफ्त का मिशनरी वाला साहित्य बंट रहा है , तो मेरी बचपन की यादें ताजा हो गईं। यूं ही शाम को ट्यूशन पढ़कर वापस सड़क पर था। फुटपाथ पर एक दो लोग मिले और कुछ आडियो कैसेट एवं किताब मुफ्त दे रहे थे।

उनका कहना था कि घर ले जाओ और सुनना व पढ़ना। किताब पर एक व्यक्ति शूली पर टंगा हुआ था , नाम लिखा था प्रभु ईशू !

अभी हाल ही में वैश्विक स्तर से एक रिपोर्ट जारी हुई है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की कमी हुई है। यहाँ धार्मिक स्वतंत्रता का दमन किया जा रहा है।

जब मैंने लखनऊ से फ्री साहित्य की खबर सुनी तो महसूस हुआ कि बचपन में सड़क पर धार्मिक स्वतंत्रता दिख रही थी। ऐसी धार्मिक स्वतंत्रता थी कि मेरा जैसा मासूम बच्चा सड़क पर निकल रहा है तो उसे धर्म विशेष का कैसेट और किताब पकड़ा दो , उसके दिल दिमाग को हैक कर लो।

मेरे देखते हुए ही छोटे से कस्बे पहाड़ी में एक दलित ने धर्मांतरण किया। ईसाई बना और शादी हुई , इन्ही दो चार वर्ष के अंदर वो चर्च का फादर भी बन गया। मैं रविवार के दिन चर्च अनेक बार गया , क्योंकि मेरी जिज्ञासा थी कि वहाँ होता क्या है ?

धर्म परिवर्तन करने वाले अरविंद भाई अब डैनियल हो चुके थे। कोई तो पढ़ाई पढ़ ली थी कि उन्हें फादर बना दिया गया। वो बता रहे थे कि बड़े परिश्रम से परीक्षा पास की और आज फादर हूँ।

सच बात है ईसाई धर्म अपने बच्चे के पिता होने के साथ-साथ चर्च का फादर भी बन जाना होता मतलब कि ” डबल फादर ” ! और सुना ही है कि गाॅड फादर होते हैं।

इस दौरान ही अरविंद डैनियल भाई को कैंसर हुआ और मृत्यु वैसे ही हुई , जैसे धर्म परिवर्तन ना करने वाले शख्स की होती है और जन्म भी वैसे ही होता है , जैसे हर माँ अपने बच्चे को जन्म देती है , वह किसी भी धर्म जाति की हो।

वैश्विक धार्मिक स्वतंत्रता का अर्थ भी यही है कि इतनी स्वतंत्रता हो पूर्व की तरह कि धर्म परिवर्तन आसानी से करा सकें और अगर इस पर पाबंदी लग जाती है तो विश्व की संस्था द्वारा स्वहित हेतु रिपोर्ट कार्ड जारी किया जाएगा फिर हमारे देश में बैठे हुए वामपंथी कहेंगे लो जी इस सरकार में दमन हो रहा है और भारत की तस्वीर भयावह बना देंगे।

परंतु सोचिए उस भारत की तस्वीर भयावह है कि सड़क चलते सौरभ को कैसेट और किताब पकड़ाई जाए या इस भारत की तस्वीर भयावह है , जहाँ ऐसे दृश्य अब देखने को नहीं मिलते ?

मिशनरीज पर पहले से अधिक लगाम लगी है , इसलिये वर्तमान केन्द्र सरकार पर दमनकारी नीति के आरोप भी लगाए जा रहे हैं , अर्थव्यवस्था पर मूडीज की रेटिंग को अफवाह बताने वाले लोग धार्मिक स्वतंत्रता के दमन वाली रिपोर्ट को न्यायिक करार देते हैं तब जनता स्वयं समझ सकती है कि पहले वाले दाग अच्छे थे या अब के दाग अच्छे हैं ?

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