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By :- Saurabh Dwivedi

गांव पर चर्चा जैसी सोच का गांव तक पहुंचना राष्ट्रीय – सामाजिक हित मे होगा। आजादी के बाद से अब तक गांव पर समग्र मंथन नहीं हुआ , जिसमे गांव और गांव के लोगों की सोच समाहित हो। गांव के युवाओं की सोच से समाज और राष्ट्र वाकिफ हो सके। इस चर्चा को लेकर गांव तक पहुंचना आवश्यक है , इस संदर्भ में प्रेस क्लब अध्यक्ष सत्यप्रकाश द्विवेदी से गहन चर्चा हुई।

प्रेस क्लब अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान गांव पर चर्चा जैसी सोच के साकार होने मे थोड़ा वक्त लगा पर अब प्रथम स्तर में गांव के अलग – अलग जिम्मेदार लोगों से चर्चा कर प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालने की सोच से एक साथ दो काम होंगे।

उन्होंने कहा कि जहाँ तक पहुंच हो सकेगी गांव के लोगों को कोरोना वायरस के संबंध में जागरूक करना , मास्क लगाना , सोशल डिस्टेंस और इम्यूनिटी बूस्ट करने जैसे विषय पर जागरूक किया जा सकेगा। यह एक बड़ा अवसर है।

जब गांव के शिक्षक से चर्चा की जा सकती है। वहीं कोई गांव – समाज की मुख्यधारा से जुड़े हुए जिम्मेदार लोगों से चर्चा की जा सकती है। गांव के बुजुर्गों से चर्चा की जा सकती है। युवाओं से चर्चा की जा सकती है। महिलाओं से चर्चा की जा सकती है। कुपोषित बच्चों का आकलन किया जा सकता है और ग्रामीण समितियों का अध्ययन किया जा सकता है।

इन सभी प्रमुख लोगों से चर्चा करने से कुछ ना कुछ समुद्र मंथन की तरह प्राप्त होगा। जैसे समुद्र मंथन से अमृत और विष दोनों निकल कर आया था। वैसे ही गांव की कमियों का पता चलेगा , वहाँ सामाजिक माहौल का पता चलेगा। राजनीतिक माहौल का पता चलेगा।

गांव मे सामाजिक सौहार्द का पता चलेगा। आपसी प्रेम और नफरत का पता चलेगा। ईर्ष्या – द्वेष से युवाओं को कितना नुकसान हो रहा है , यह भी पता चलेगा। गांव की युवा प्रतिभाओं का भी अंदाजा लगेगा। उन्होंने कहा कि यह चर्चा हरहाल मे होनी चाहिए , प्रथम स्तर पर चर्चा कर कुछ लोगों की सक्रियता से विचारों का प्रवाह भविष्य में गांव पर चर्चा एक छोटी चौपाल लगाकर की जा सकेगी।

कृष्ण धाम ट्रस्ट की ओर से प्रतिनिधि रूप मे हमने उन्हें बताया कि ग्राम नोनार में प्रथम स्तर की चर्चा कुछ जिम्मेदार लोगों से की जा चुकी है और बड़े रोचक तथ्य निकलकर आए हैं। वहाँ एक युवा प्रतिभा से भी मुलाकात हुई। एक शिक्षक से शिक्षा के स्तर पर बात हुई और सामाजिक व्यक्तित्व से गांव के राजनीतिक माहौल पर चर्चा हुई।

गांव के प्रधान से भी चर्चा हुई। जिसमें गांव के मतदाता सहित जनसंख्या की जानकारी हुई। कुल नौकरी वाले परिवार कितने हैं और युवाओं में रोजगार के प्रतिशत पर चर्चा हुई। सामान्य वर्ग के अति गरीब परिवार की भी जानकारी मिली , जो बड़ी भयावह तस्वीर है।

गांव की प्रमुख समस्या पर चर्चा हुई। सिंचाई के साधन पर चर्चा हुई और पर्यावरण संरक्षण पर चर्चा हुई। इस तरह जिंदगी के प्रत्येक आयाम पर प्रथम स्तर पर हद तक चर्चा संपन्न हुई है। जिस पर शीघ्र ही विषय वार प्रकाश डाला जाएगा कि ” इक्कीसवीं सदी में गांव क्या चाहता है ? “

यह एक संगठित विचार बनेगा , जिससे भविष्य में जमीनी स्तर पर सरकार और समाज के लोग संयुक्त रूप सक्रिय होकर अच्छा काम कर सकें। गांव के लोगों की सकारात्मक मानसिकता से प्रकृति एवं जिंदगी की बेहतरी के लिए अच्छा काम किया जा सके। सबसे बड़ा बदलाव मानसिक बदलाव होता है और मानसिक संक्रमण को समाप्त कर जिंदगी और समाज की अच्छी उम्मीदों का द्वार खोला जा सके। हमें आशा है कि इस समग्र सामाजिक – राष्ट्रीय कार्य के लिए प्रमुख लोगों का मार्गदर्शन मिलेगा और एक संगठित विचार उत्पन्न कर राष्ट्र हित मे बड़ा उद्देश्य सफल हो सकेगा।

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