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By – Saurabh Dwivedi 

कल मुझे विकास मिला था। मैंने कहा विकास तो पागल हो गया है। बस फिर क्या था ? विकास कहने लगा पागल विकास नहीं हुआ बल्कि विकास को पागल कहने वाला पागल हो गया है। 


मैंने जानना चाहा कैसे ? उसने कहा ऐसे __ 


राहुल गांधी पहले कहते हैं कि मंदिर में लड़के लाइन मारने जाते हैं और फिर मंदिर पहुंचने को मजबूर हो जाते हैं, अब फैसला कर लीजिए लाइन मारने गए थे या फिर पूजा करने गए थे ? 


पहले गुजरात के गधे पर तंज कसते हैं फिर स्वयं को गुजरात का बेटा कहते हैं अब तय कर लें गधा कौन है ? 

अमेठी को बदल नहीं सके और अहमदाबाद को बदलने की बात करते हैं। गुजरात को 6 महीने में बदल देगें लेकिन लंबे अंतराल तक सत्ता का स्वाद चखे और विकास को अस्थमा होता रहा।

राहुल गांधी को संघ में शार्ट्स में लड़कियां नहीं दिखती हैं, एक बार यह कहते कि संघ में महिलाओं की भागेदारी कितनी है तो तर्क आधारित चर्चा होती। 

मोदी ने चीन में नगाड़ा बजाया और राहुल गांधी गुजरात में ढपली ही नहीं बजाए बल्कि तू ततक तूतिया टाइप नाचने भी लगे। 

कभी कहते हैं कि रात को मम्मी आई थीं और कहने लगीं कि बेटा राजनीति जहर है और अब इस जहर का पान करते जा रहे हैं। 

अपने ही पीएम का अपमान विधेयक फाड़ के कर देते हैं।  


नोटबंदी के समय पहले हल्का समर्थन फिर लाइन में जाकर खड़े हो गए और जीएसटी के समय अपना व्यापार ही नहीं बता सके।

मोदी बुलेट ट्रेन का खाका खींच रहे और ये कभी खाट पर तो कभी बैलगाड़ी पर दिख जाते हैं। मानो जनता जानती ही नहीं तुम किस ऐशो-आराम में रहते हो।  

यही कहते हैं कि कांग्रेस ने बहुत विकास किया है तो इनका वाला विकास पागल हुआ कि नहीं ये भी बताते नहीं और मुझ विकास को पागल कह रहें। 

पागलों वाली हरकत खुद इतनी करते कि अमेरिका में जाकर अपने ही देश को गरीब और दिशाहीन बताते हैं। अंत में विकास कहने लगा कि अब बताइए कितने ऐसे तर्क दूं कि पता चल जाए विकास पागल हुआ है अथवा विकास को पागल कहने वाले पागल हुए हैं।  

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