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By – Saurabh Dwivedi

होली का अपना एक अलग ही नशा है। अंदाज ए बयां कुछ चौकीदार की तरह है। आज होली का त्योहार है। इस दिन भी कम से कम दो तरह के लोग पाए जाते हैं और तीसरी तरह के लोगों की चर्चा कुछ खास मायने नहीं रखती।

एक वो लोग हैं जो प्रमुखता से रंग – गुलाल लगाकर रंगोत्सव मनाएंगे। दूसरे वे लोग हैं जो रंग – गुलाल से परहेज करते हैं। किन्हीं वजह से रंग नहीं खेलना चाहते हैं। किन्तु सबसे बड़ी बात है कि रंग – गुलाल ना खेलने वाले लोग भी एलर्ट रहते हैं अर्थात सावधान रहते हैं !

वे ऐसे परिधान पहनते हैं कि अगर कोई रंग – गुलाल आगे से – पीछे से उड़ेल भी दे अथवा पिचकारी मार दे या फिर गुब्बारा ही फेंक दे तो ऐसे में उन्हीं परिधान पर रंग पड़ेगा जो उन्होंने होली के लिए तय कर रखा है। कुलमिलाकर वो कपड़े नहीं खराब होगें जो नहीं होने चाहिए।

रंगोत्सव हमें सावधानी का पाठ पढ़ाता है। किन्तु यह सावधानी भी दिन विशेष एवं कुछ घंटो की मेहमान होती है। अगर कोई हमेशा सावधान रहता है तो वह चौकीदार है। सोसायटी में चौकीदारी करने वाला शख्स कभी शख्सियत नहीं कहला सका। किन्तु उसकी वजह से अमीरों की सुख की नींद महसूस होती है। ये अमीर लोग सुबह जगकर वाकिंग करने को निकलते वक्त , आफिस जाने के समय या फिर स्वयं के प्रतिष्ठान की ओर जाते हुए कृतज्ञता भी नहीं व्यक्त करते हैं कि तुम्हारी वजह से हमने आनंदपूर्ण रात्रि बितायी है। शाब्दिक धन्यवाद कह सकते हैं !

हाल – फिलहाल रंगोत्सव की तरह भाजपा समर्थक चौकीदार हो चुके हैं। लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार किसी प्राइम मिनिस्टर ने चौकीदारों से बात की होगी , बेशक बात चुनावी हो। किन्तु बात होना महत्वपूर्ण है। इस अभियान को सकारात्मक रूप से देखें तो यह भारत के लिए अच्छी बात है।

अच्छी पहल इसलिये है कि करोड़ो की तादाद में चौकिदार हो चुके हैं। अर्थात सावधान रहेंगे। उम्मीद सिर्फ इतनी सी है कि जनपद स्तर के जनप्रतिनिधि से लेकर प्रादेशिक – राष्ट्रीय नेतृत्व तक इन चौकीदारों की बात सुनी जाए व अमल की जाए।

जैसे कि बूथ स्तर का चौकीदार कहे कि थानेदार घूसखोर है तो विधायक से लेकर सांसद और मुख्यमंत्री तक उसकी बात को सुनकर कम से कम चेतावनी पत्र जारी कर दें कि घूसखोरी सुनने को मिल रही है और आप कार्रवाई की जा सकती है। सबूत मिलें तो फौरन कार्यवाही हो नाकि टें टें शुरू रहे।

जैसे कि चौकीदार भ्रष्टाचार से संबंधित आवाज उठाए और अफसर का तबादला हो जाए तो कोई विधायक / जिलाध्यक्ष अफसर का तबादला स्थगित करने को सिफारिशी पत्र ना लिखे और यदि ऐसा विधायक / जिलाध्यक्ष पाया जाए तो उस पर फौरन सांगठनिक कार्रवाई हो ! शायद संभव नहीं होगा ?

चौकीदारों से एक अपेक्षा और है कि सावधानी इतनी चुस्त-दुरुस्त हो कि किसी भी बहन की अस्मिता ना लुट सके , आपकी पैनी नजरों से हवसी राक्षस ना बच सके। चौकीदारी का तेल पिया हुआ डंडा जमकर बरस सके। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन चौकीदारों की आवाज को नजरंदाज ना करे।

ऐसे ही राष्ट्रीय हित पर इतने मुद्दे हैं कि यदि चुनावी पर्व के चौकिदार हमेशा के लिए जागरूक चौकीदार बन जाएं तो हर प्रकार के भ्रष्टाचार , अत्याचार और दुर्व्यवहार आदि पर करारा प्रहार कर सकते हैं। यदि साफ मन से ऐसा संभव हो जाए तो सचमुच अच्छे दिन आ जाएंगे। इसलिए नवाचार , नवोदित चौकिदारों से अपेक्षा यही है कि चलो पग से पग मिलाकर हर बुराई को नष्ट करने के लिए। एक स्वर में आवाज दो ताकि वास्तव में चौकीदारी से सशक्त भारत समृद्ध भारत बन सके।

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