श्रीराम नवमी के उपलक्ष्य मे रामदल की परंपरा चित्रकूट की पहचान बनती जा रही थी , जिसमे इस बार राजनीति साफ झलक रही थी कि आखिर लोगों ने श्रीराम का राजनीतिक प्रयोग खूब किया है !
अयोध्या मे राम मंदिर का उद्घाटन होने के बाद यह पहली राम नवमी है। उद्घाटन के दिन जय बजरंग सेना सहित चित्रकूट परिक्रमा मार्ग मे संस्कृति विकास ट्रस्ट द्वारा झांकी निकाली गई थी लेकिन तब भी रामदल वालों ने इस दिन विशेष मे रामदल जैसी पहल नही की , आखिर क्यों ?
अब राम नवमी के दिन सबको अपेक्षा थी कि राम दल निकलेगा लेकिन उसकी तैयारी ही नही की गई थी। इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले श्याम गुप्ता , जवाहरलाल सोनी आदि की सोशल मीडिया पर टिप्पणी संकेत कर रही थीं कि रामलीला भवन उनसे छीन लिया गया है इसलिए वो रामदल कैसे निकालें ?
रामलीला भवन का विवाद भी व्यापार का है। एक पक्ष का कहना है कि ये लोग व्यापार कर रहे थे और निर्माण कार्य कराकर उस व्यापार को बड़ा करना चाहते थे। इसलिए दूसरे पक्ष ने हस्तक्षेप किया और फिर रामलीला भवन से श्याम गुप्ता आदि का एकाधिकार समाप्त हो गया।
एक पक्ष चुनाव का भी जानने योग्य है कि नगरपालिका अध्यक्ष बनने की इच्छा भी सोनी परिवार और श्याम गुप्ता आदि की रही है जो स्पष्ट झलकती है और इस बार भी भाजपा प्रत्याशी नरेन्द्र गुप्ता से सोनी – श्याम गुट को पराजय का सामना करना पड़ा बल्कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे निशी सोनी को 8,000 से अधिक मत मिले जिससे स्पष्ट है कि सोनी – श्याम गुट मे दम है।
चुनाव की बात से इंकार करते हुए सोनी – श्याम गुट कहता है कि सारा विवाद रामलीला भवन को लेकर है कि हमे बदनाम किया गया जबकि हम हर वर्ष रामदल निकालने मे अधिक से अधिक खर्च करते थे। घर-घर भगवा ध्वज लगता था लेकिन विवाद ऐसा हुआ कि इस बार की राम नवमी फीकी पड़ गई।
यह सच है कि इस राम नवमी मे जितनी अधिक संख्या होनी चाहिए थी वह नही दिखी और ना ही वह उत्साह नजर आया। इसकी बड़ी वजह यह भी कही जा सकती है कि तैयारी एक दिन पहले की शाम से शुरु हुई और सूचना का अभाव भी थी इसलिए रामदल मे पहले जैसी बात नही दिखी और राम भक्तों का जलवा नजर नही आया।
हालांकि अगर धर्म – अध्यात्म और भक्ति की बात करें तो बुलडोज़र ना कल होने थे और ना आज होने थे क्योंकि श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और वह मर्यादा का संकेत करते हैं तो राम की झांकी हो या दल वह धर्म अध्यात्म और भक्ति से परिपूर्ण हो , उसमे कीर्तन हो और राम कथा हो और धार्मिक मंचन हो तो वास्तव मे आने वाली पीढ़ियों को सांस्कृतिक संदेश जाएगा और शायद इसलिए ही राम जी ने फिर एक विवाद पैदा कर दिया कि उन्माद वाला राम दल मेरी पहचान नही हो सकती।
इसलिए भविष्य मे राम दल कैसा होना चाहिए इस पर समाज को विचार करना चाहिए ताकि रामदल मे श्रीराम की मर्यादा भी नजर आए और संदेश धर्म अध्यात्म का स्पष्ट रहे। गौरतलब है कि मानिकपुर आदि जगहों पर पहले की तरह ही रामदल निकला और जय श्रीराम के नारे लगे।