@Saurabh Dwivedi
जिंदगी पुनः वापस पाने के लिए , एकदम स्वस्थ होने के लिए कोरोना संक्रमित युवा अस्पताल पहुंचे थे। युवा भारत का एक ऐसा युवा जो स्वस्थ और सक्रिय नजर आ रहा था। अपनी बहन से साजिशन मौत की बात व्हाट्सएप पर कह रहा था। इस बीच ही अस्पताल , अंग और तस्करी का एक बड़ा षणयंत्र नजर आने लगा है जो मानवता और अस्पताल के रिश्ते पर धब्बा साबित होने जैसा है फिर किस पर विश्वास किया जा सकता है ?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से अंग कपाऊ दहशत सुनने को मिल रही है। आदर्श नाम का युवा अपनी बहन से व्हाट्सएप पर कुछ घंटो पहले कहता है कि मुझे यहाँ से शीघ्र वापस निकाल लिया जाए अन्यथा मैं जिंदा नहीं बचूंगा , मेरे सामने ही कल एक मर्डर किया गया है ! एक जीवित व्यक्ति को मार देना अस्पताल के अंदर कितना कष्टदायक होगा , आखिर एक चिकित्सक कितनी कुत्सित मानसिकता का हो सकता है कि वह अंग की हेराफेरी करे और अच्छी – खासी जिंदगी को मौत बना दे !
आदर्श चिनहट के रहने वाले थे। वह युवा थे। उनकी भाषाशैली अच्छी थी। चेहरा एकदम साफ था। उनकी बोली उनके स्वस्थ होने का प्रमाण दे रही थी , परंतु एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पर भेजा गया। फिर वही हुआ जो आदर्श को आशंका थी , चूंकि समय से उन्हें अस्पताल से कोई निकलवा नहीं सका और उसे मृत बता दिया गया।
किन्तु कुछ समय बाद ही बहन के व्हाट्सएप से चैट वायरल होती है फिर यह मामला प्रकाश मे आता है। तत्पश्चात परिवार न्याय की गुहार लगाने तहरीर लेकर चिनहट पुलिस के पास पहुंचती है परंतु कुर्सी रोड के निजी अस्पताल का मामला कहकर पुलिस दूसरे थाना क्षेत्र का हवाला देकर वापस कर देती है !
अब यहाँ गौर करने योग्य है कि सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि मामला किसी भी थाना क्षेत्र का हो कम से कम वह संबंधित नजदीकी थाना मे दर्ज किया जाए और क्यों ना एक थाना से दूसरे थाना पर प्राथमिकी आवश्यकता अनुरूप स्थानांतरित की जाए अन्यथा अनेक बार पुलिस का यह बहाना ही काफी होता है कि हमारे क्षेत्र का मामला नहीं है।
थाना मे सुनवाई ना होने पर परिवार ने डीएम और सीएमओ से मुलाकात की , फलस्वरूप उन्हें जांच का आश्वासन मिला है। परिवार का कहना है कि उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से भी मौखिक शिकायत की है।
यह पूरा मामला Integral hospital का बताया जा रहा है। मानव अंगो की तस्करी को लेकर आ रही भयावह सूचनाएं सचमुच भयानक आपदा मे खतरनाक अवसर तलाशना है। कोरोना को मानव अंग तस्करी करने वालों ने सबसे बड़ा अवसर बना लिया है और यह अवैध कमाई का बड़ा जरिया बन चुका है।
ऐसे मे कहा जा सकता है कि मानवता कहाँ है ? जातिवाद की राजनीति करने वाले भी कहाँ हैं ? असल मे जातिवाद की राजनीति करने वाले सुविधानुसार सक्रिय होते हैं अन्यथा आदर्श पाण्डेय की मौत साफ दर्शाती है कि शासन – प्रशासन और राजनीतिज्ञों को सक्रिय होकर ऐसे अस्पताल पर तालाबंदी की तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और जांच के उपरांत घटना सही पाए जाने पर कठोर से कठोर दंड देना चाहिए।
देश का माहौल जरूरी मुद्दों पर गरम हो यह आवश्यक है परंतु अफसोस कि कोरोना काल मे हो रही मानव अंग की तस्करी के मुद्दे पर बड़े – बड़े ऊंट शांत हैं और वे करवट ही नहीं ले रहे। परिवार को आशा है कि भ्रष्ट सिस्टम की आत्मा जागेगी और शायद उनको न्याय मिल जाए ! जबकि चैट मे साफ लिखा है कि किडनी आदि निकाल लेने की पूर्ण संभावना है फिर मौत होती है उसके बावजूद कहीं कुछ हुआ ही नहीं ऐसा प्रतीत होता है।
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{ Saurabh Chandra Dwivedi
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