सोशल मीडिया के माध्यम से एक दिन मेरी फेसबुक वाल पर एक बुजुर्ग किसान और प्रकृति को दर्शाता हुआ चित्र लगाया गया। मैंने देखा विनय दुबे नाम के किसी शख्स ने मुझे ये चित्र भेट किया है , बाद मे पता चला आप एक शख्सियत हैं।
नाम जानने के बाद मैंने उनकी तस्वीर देखी जिसमे वह मेरे अग्रज जैसे महसूस हुए और प्रश्न कर दिया कि शायद आपने कुछ सोचकर ये चित्र मुझे भेट किया होगा ?
जब उनसे बातचीत हुई तो उन्होंने वो कहावत कही ” खग जाने खग की भाषा ” इस प्रचलित कहावत का अर्थ है एक पक्षी ही एक पक्षी की भाषा को समझता है। ऐसे ही एक चित्रकार का मन लेखक / पत्रकार के मन को खूब महसूस कर सकता है और शब्दों से लेखन के स्तर को समझ सकता है। एक लेखक समय , समाज और जिंदगी व राजनीति के संबंध मे जैसा सोचता है वह सबकुछ एक चित्रकार भलीभांति महसूस कर लेता है और चित्र द्वारा वह व्यक्त कर देता है।
इनका अपना निजी संघर्ष भी होता है चूंकि चीजों को गहराई से महसूस करते हैं तो वह संघर्ष जितना दर्द देता है वही समाज के लिए रमणीय – दर्शनीय हो जाता है।
कस्टम की नौकरी से सेवानिवृत्त विनय दुबे ऐसी ही रमणीय दर्शनीय चित्रकारी करते हैं। वह एक प्रकृति के साथ बुजुर्ग किसान को उकेर कर बता देते हैं कि जीवन प्रकृति के साथ ही सहज है और प्रकृति को उजाड़ने से जीवन उजड़ जाएगा।
वह भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के चित्र को बनाकर संदेश देते हैं कि राजनीति का यही चरित्र और व्यक्तित्व होना चाहिए जो सचमुच आज भी अटल हैं व अजातशत्रु हैं। जबकि गुजरते समय के साथ राजनीति का चरित्र भी गुजरता जा रहा है जहाँ छल और छद्म के सिवाय कुछ भी स्थिर नही रह गया है। अगर समाज समझ सके तो इस वक्त भी अच्छे चरित्र को सहयोग कर राजनीति का अच्छा चरित्र जीवंत रखा जा सकता है।
एकलव्य की कहानी से सभी परिचित हैं। एकलव्य ने द्रोणाचार्य को अपना गुरु मान लिया था। ऐसे ही विनय दुबे हैं जिन्होंने मन और आत्मा से जगद्गुरु रामभद्राचार्य महराज को अपना गुरु मान लिया है। जिनकी इच्छा है कि भगवान की कृपा से उन्हें वह गुरू मंत्र प्रदान करें। उन्होंने अपने मानस गुरू जगद्गुरु रामभद्राचार्य महराज की तस्वीर उकेर कर ऐसा स्केच बनाया है कि मनमोह लेता है।
बुंदेली संस्कृति को प्रयागराज की पावन भूमि से जीवंत रखने की अलौकिक इच्छा के साथ वह संत तुलसीदास का भी स्केच बनाते हैं। भविष्य मे वह अन्य महापुरूष और संत समाज का स्केच बनाकर अपने देश और समाज को अद्भुत भेट प्रदान करने का महाप्रण लिए हैं। प्रयागराज एवं देश की सबसे बड़ी पहचान अमिताभ बच्चन के कवि साहित्यकार पिता हरिवंशराय बच्चन का भी चित्र बनाकर कला और साहित्य का मनोरम संगम स्थापित किया है।
फोन द्वारा बातचीत पर उनका भी दर्द यही झलक कर सामने आया कि अब सरकार और समाज द्वारा कला और साहित्य को वह सम्मान और समृद्धि नही प्रदान की जा रही है जिससे वह उत्साहित होकर भविष्य की पीढ़ियों के लिए विशेष भेट प्रस्तुत करता रहे। अब यही अंतिम सत्य है कि जब आप सफलता के शिखर पर होंगे तब शुभचिंतक रिश्ते वालों की अटूट पंक्ति व भीड़ आपके आसपास होगी।
खैर सरकार से उम्मीद करते हैं , समाज से उम्मीद करते हैं और जागरूक व्यक्तियों से उम्मीद है कि वह कला , साहित्य और पत्रकारिता को हर स्तर से समृद्ध बनाने मे सहयोग की भूमिका का निर्वाह करेंगे जिससे हमारा भविष्य अंधकारमय नही प्रकाशमय होगा। मेरी भी व्यक्तिगत इच्छा है कि विनय दुबे चित्र बनाएं और मैं समय निकालकर उन्हें शब्द दूं जिससे हम समाज और संस्कृति हेतु अपनी जिंदगी समर्पित कर सकेंगे।