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मन मे आया क्यों ना अपने जीवन मे अपनी मां को लिखकर कुछ समर्पित कर दूं तो मेरी प्यारी सी मां को मातृ दिवस पर हृदय के शब्द समर्पित हैं और तुम सी मां तो जीवन मे सदा सबको मिले जाने मुझे क्यों लगता है कि मेरी मां तुम मेरे लिए स्पेशल हो

एक जिंदगी हमे मां से मिलती है जैसे मेरी मां वैसे हम सबकी मां होती है और हम धरती को भी मां कहकर धरती मां कहते हैं। हमारा देश भारत मां के भाव से भरा हुआ है तो स्पष्ट है कि मां के प्रेम मे जीवन है।

आज मुझे अच्छा लग रहा है कि मैं अपनी मां के लिए कुछ कह रही हूं। मेरी मां मेरे लिए वैसे ही विशेष है जैसे बहुतों के लिए माएं विशेष होती हैं लेकिन कुछ लोग मां को वृद्धाश्रम मे भी छोड़ दे रहे हैं , ये गलत हो रहा है और हमें विचार करना होगा कि ऐसा ना हो !

तो मुझे मेरी मां की छवि उकेरनी है तो यकीनन उसका चेहरा हमेशा मातृत्व के भाव से भरा रहता है। मैं खुद एक मां हूँ पर अपनी मां के चेहरे पर देखती हूँ तो मुझे जो मां महसूस होती है एकदम मासूम सी वैसी ही मेरी मां मासूम सी है।

मुझे मेरी मां से इतना प्रेम है कि जिसे आत्मीय प्रेम कहा जा सकता है। अलौकिक प्रेम मां – बेटी का प्रेम और मेरी मां पढ़ने – लिखने की शौकीन भी हैं तो उसके लिए लिखकर कहना मेरे अंदर के मातृत्व का छलक जाना है इसलिए कहते हैं बेटियां अपनी मां को समझने मे अव्वल रहती हैं।

मां – बेटे और बेटी का ऐसा रिश्ता होता है जो जीवन भर अदृश्य अहसास से जीवन ज्योति अखण्ड ज्योत की तरह हमारे अंदर प्रज्वलित रहती है और वही तो आत्मा और परमात्मा का दर्शन है , रिश्ता है।

इस दुनिया मे बिना गर्भ से जन्म लिए बच्चे भी किसी को अपनी मां कहते हैं और वो उसे अपना बेटा मान लेती है तो ऐसा लगता मानों किसी जन्म का रिश्ता हो चूंकि उन्हें महसूस होता है कि हम वाकई मां – बेटे हैं। मन के गर्भ मे मां – बेटे की छवि का आकार छा जाता है और एक रिश्ता पलता – बढ़ता है।

एक ऐसा ही मन का रिश्ता मां – बेटे का जो मुझे अपनी मां की छवि याद दिला देता है तो मेरे मन मे आया क्यों ना अपने जीवन मे अपनी मां को लिखकर कुछ समर्पित कर दूं तो मेरी प्यारी सी मां को मातृ दिवस पर हृदय के शब्द समर्पित हैं और तुम सी मां तो जीवन मे सदा सबको मिले जाने मुझे क्यों लगता है कि मेरी मां तुम मेरे लिए स्पेशल हो और अपनी मां बन चुकी बेटी को आज भी कितना समझती हो और हमेशा केयर करती हो इसलिए मैं मातृ दिवस पर हर बेटी से कहूंगी कि ससुराल मे रहें या कहीं भी हर संभव कोशिश होनी चाहिए कि बेटों से ज्यादा हम बेटियां मां का ख्याल रखेंगे चूंकि मां सूक्ष्म से अनंत की ओर का भाव है , शब्द एक है किन्तु उड़ान कितनी भर ली जाए इस एक शब्द से वह है ‘ मां ‘ ।

मां तुम्हारी बिटिया दिव्या 

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