हमारे समाज मे ऐसे बेटों की भी कहानियाँ हैं जो पिता के जीवन के बाद भी उनके कर्मों को जीवंत रखते हैं तो चित्रकूट जनपद के एक छोटे से गांव सरैंया निवासी अमित शुक्ला की खास पहल से दुनियाभर के बेटों को माता – पिता के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने की सीख मिलेगी।
डाॅक्टर वैजनाथ शुक्ला जीवन भर स्वास्थ्य एवं मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम करते रहे जो 65 वर्ष की आयु मे हार्ट अटैक की वजह से संसार को अलविदा कह गए लेकिन उनके पुत्र अमित शुक्ला ने पिता जी के कार्मिक जीवन को जीवंत रखने के लिए पहले तो ट्रस्ट का निर्माण किया फिर जन स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन कराया।
डाॅक्टर वैजनाथ शुक्ला के 66 वें जन्मदिन पर निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन सरैंया गांव मे किया गया जिसमे प्राथमिक उपचार की दवाइयों का वितरण भी किया गया। इस परीक्षण शिविर मे बीपी शुगर की जाँच की गई जिसमे डॉ पियूष ओझा, डॉ अमित द्विवेदी, डॉ अतुल शुक्ला, डॉ कमल शुक्ला फार्मासिस्ट वर्षा की मुख्य भूमिका रही।
जीवन क्या है ? जन्म और मृत्यु से पूर्व का समय जैसे कि करीब 10 दिन पहले मेरे सामने एक कार आकर खड़ी हुई थी तो मैंने Amit Shukla भैया के साथ ही देखा कि अरे पिताजी आ गए !
अगले दस दिनों बाद जो खबर मिली कि अरे पिता जी नही रहे तब से वो दृश्य उनके अंतिम आशीर्वाद के साथ मेरे हृदय पटल मे समा गया।
पिता जी एक मधुर सकारात्मक मुस्कान के स्वामी थे जिन्हें मैं सांसारिक संत कहूंगा तो अतिशयोक्ति नही होगी। ऐसा ही जीवन जीने के लिए श्रीमद्भगावत गीता मे श्रीकृष्ण उपदेश देते हैं जैसा जीवन अमित भैया के पापा डाॅ. बैजनाथ शुक्ला जी का था।
आसक्ति रहित समभाव वाला जीवन जिसको आदरणीय पिता जी ने बहुत पहले से धारण कर लिया था। वो डाॅक्टर थे और सबसे बड़ी बात कि इंसानियत के उदाहरण हैं।
पिता जी सदेह इस दुनिया मे नही हैं किन्तु उनके कर्म और उन कर्म मे उनका सत्कर्म इस संसार मे है और अपने बुजुर्गों को श्रद्धाँजलि देने का अगर कोई सच्चा तरीका है तो उनके सत्कर्म को जीवंत उदाहरण बना देना , ऐसा ही काम स्वास्थ्य शिविर लगाकर सुपुत्र अमित शुक्ला भैया ने किया है।
पिता जी मानवाधिकार संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक करते रहे हैं जिसमे उत्तम स्वास्थ्य प्रत्येक मानव का अधिकार है। हर सरकार को प्रत्येक नागरिक को उत्तम स्वास्थ्य के लिए काम करना चाहिए और सामाजिक नागरिक होने का कर्तव्य है कि उत्तम स्वास्थ्य के लिए हम कुछ कर सकें तो जन्मदिन के अवसर पर स्वास्थ्य शिविर का ऐसा आयोजन हुआ जिससे गांव के लोगों की उम्मीदें जगी हैं और पिता जी का सत्कर्म संसार मे जीवंत रहेगा।
यह उनकी आत्मा को सच्चा नमन है। आज अमित भैया का भी जन्मदिन है आपको और पिता जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
अब यही जीवन है जो दस दिन पूर्व और दस दिन बाद का सच है इस समय मे हर इंसान जो कुछ भी कर सकता है वो करे अन्यथा जीवन का अंतिम व पहला सच मृत्यु है !