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उत्तरकाशी सिन्यालीसौड : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधीनस्थ वी.पी.के.ए.एस. अल्मोड़ा में जारी प्रशासनिक अनियमितताओं और श्रमिकों के उत्पीड़न का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जाँच कमेटी पर पक्षपात, गवाहों को धमकाने और शिकायतों को नज़रअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं। श्रमिकों और स्थानीय जनता की मांग है कि निदेशक लक्ष्मी कान्त और उनके सहयोगी कर्मियो ख्यालीराम और सचिन पंवार को हटाया जाए, ताकि निष्पक्ष जांच संभव हो सके।
श्रमिकों के बयान बदलवाने की कोशिश

२४ फरवरी २०२५ को आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने एक बार फिर से गवाहों पर दबाव बनाने का प्रयास किया। श्रमिकों के अनुसार, कमेटी ने गवाहों से हाँ/नहीं का जवाब लिखवाकर हस्ताक्षर करवाए, लेकिन जब उन्होंने इसकी ऑफिस कॉपी की प्राप्ति रसीद मांगी, तो इनकार कर दिया गया। श्रमिकों को धमकाते हुए कहा गया कि “यदि बयान बदले जाते हैं तो ही रसीद मिलेगी।” जब गवाहों ने निष्पक्ष प्रक्रिया की मांग की, तो समिति के सदस्य उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करने लगे।

पक्षपातपूर्ण कार्यवाही और न्याय की उम्मीद पर सवाल

कमेटी पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने के आरोप पहले भी लग चुके हैं। सितम्बर २०२४ में भी, जब यह जाँच के लिए आई थी, तब उसने एक पक्ष के गवाहों को धमकाया, जबकि दूसरे पक्ष के बयान व्यक्तिगत रूप से दर्ज किए गए। समिति के सदस्यों ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता श्रीमती मीना देवी को बयान देने के दौरान यह समझाया कि यदि वे राघव और नीरज को हटाने की मांग करेंगी, तो उन्हें फिर से नियुक्त कर दिया जाएगा। परिणामस्वरूप बिना किसी ठोस आधार के इन अधिकारियों का तबादला हुआ और मीना देवी को पुनः कार्यभार सौंप दिया गया।

श्रमिकों पर बढ़ता अत्याचार और अन्याय

श्रमिकों का आरोप है कि लक्ष्मीकांत के निर्देशों पर ख्यालीराम और सचिन पंवार ने महिला श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार किया और जातिसूचक गालियाँ दीं। एक श्रमिक, कस्तूरी लाल को जबरन लैट्रिन साफ करवाने की बात भी सामने आई। जब श्रमिकों ने बयान बदलने से इनकार किया तो फंड खत्म होने का बहाना बनाकर १३ में से ७ श्रमिकों को निकाल दिया गया। बाद में जब जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नागरिकों ने विरोध किया, तो इन्हें दोबारा नियुक्त किया गया।

प्रशासनिक भ्रष्टाचार और उच्च अधिकारियों की चुप्पी

श्रमिकों का कहना है कि कृषि भवन में बैठे उच्च अधिकारी इन गंभीर आरोपों को नज़रअंदाज कर रहे हैं। लक्ष्मीकांत द्वारा २४ घंटे के भीतर मीना देवी की शिकायत पर जाँच कमेटी गठित कर दी गई, लेकिन जब ४ महिलाओं और ९ पुरुषों ने शिकायत की, तो इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह प्रशासनिक निष्क्रियता और पक्षपात का स्पष्ट संकेत है।

निष्पक्ष जाँच और तबादले की माँग

श्रमिकों का कहना है कि जब तक ख्यालीराम और सचिन पंवार का तबादला नहीं होगा, तब तक लक्ष्मीकांत द्वारा उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे जाते रहेंगे। निष्पक्ष जाँच के लिए जरूरी है कि इन सभी अधिकारियों का स्थानांतरण हो और एक स्वतंत्र जाँच कमेटी नियुक्त की जाए।

वी.पी.के.ए.एस. अल्मोड़ा में प्रशासनिक अनियमितताओं और जाँच समिति की पक्षपाती कार्यशैली ने पूरे मामले को संदेहास्पद बना दिया है। यदि उच्च स्तर पर निष्पक्ष जाँच नहीं हुई, तो श्रमिकों का उत्पीड़न जारी रहेगा और संस्थान की साख को भी नुकसान पहुंचेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और कृषि मंत्रालय को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।

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