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प्रकाश पाल का बयान सामान्य नहीं है। यह 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद बनने वाले नैरेटिव का संकेत है, जहां भाजपा खुद को “नैशनल सिक्योरिटी का एकमात्र संरक्षक” और कांग्रेस को “समझौतावादी मानसिकता” वाली पार्टी के रूप में चित्रित करने की ओर बढ़ रही है।

चित्रकूट में भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल का एक बयान राजनीतिक गलियारों में नई बहस का कारण बन गया है। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की बहुचर्चित आत्मकथा ‘A Promised Land’ का हवाला देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की नीति पर सवाल खड़े किए।

प्रकाश पाल ने कहा, “मैं नहीं कह रहा, ओबामा ने लिखा है कि उन्होंने जब भारत के प्रधानमंत्री से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद पर सख्त कार्रवाई की अपेक्षा की, तो मनमोहन सिंह ने जवाब दिया कि इससे भारत का मुसलमान असंतुष्ट हो जाएगा और भाजपा को राजनीतिक लाभ मिलेगा।” उन्होंने साफ आरोप जड़ दिया कि कांग्रेस भारत के मुसलमानों की छवि पाकिस्तान परस्त बनाकर रखे रही जबकि आज भारत का मुसलमान हाफिज सईद के नाम से नही बल्कि भारतीय सैन्य अधिकारी सोफिया कुरैशी के नाम से जाने जाते हैं , मुसलमान की राष्ट्र भक्त वाली यह छवि मोदी सरकार मे बन सकी।

यह कांग्रेस पार्टी की उस राजनीतिक सोच पर सीधा हमला है, जो कथित रूप से वोट बैंक को केंद्र में रखकर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर नरम रुख अपनाती रही है।

■ ओबामा की किताब में क्या है?

2020 में प्रकाशित बराक ओबामा की किताब A Promised Land में उन्होंने भारत की राजनीति का उल्लेख करते हुए कहा था कि मनमोहन सिंह आतंकवाद पर सीमित प्रतिक्रिया इसलिए देते थे क्योंकि उन्हें डर था कि पाकिस्तान के खिलाफ कोई आक्रामक रुख भारत के मुस्लिम समुदाय को नाराज़ कर सकता है, जिससे भाजपा को मजबूती मिल सकती है। यह कथन तब भारत की राजनीतिक और बौद्धिक जमात में काफी चर्चा का विषय बना था।

■ भाजपा का अब भी तीखा हमला क्यों?

प्रश्न यह है कि ’11 साल बेमिसाल’ का दावा करने वाली मोदी सरकार आज भी कांग्रेस पर इतने आक्रामक तरीके से क्यों हमलावर है, खासकर तब जब कांग्रेस आज की तारीख में राजनीतिक रूप से काफी कमजोर दिखाई दे रही है ?

इसका उत्तर राजनीति की लंबी स्मृति और वैचारिक संघर्ष में छिपा है। भाजपा सिर्फ एक दल को नहीं, एक सोच को चुनौती दे रही है वह सोच जो बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के नाम पर नीतियों को तोलती रही है ; जो राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों पर भी राजनीतिक समीकरण के तराजू में तौलने से नहीं हिचकिचाई।

■ भविष्य की राजनीति का संकेत ?

प्रकाश पाल का बयान सामान्य नहीं है। यह 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद बनने वाले नैरेटिव का संकेत है, जहां भाजपा खुद को “नैशनल सिक्योरिटी का एकमात्र संरक्षक” और कांग्रेस को “समझौतावादी मानसिकता” वाली पार्टी के रूप में चित्रित करने की ओर बढ़ रही है।

साथ ही, यह बयान कांग्रेस के ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ के पुराने आरोपों को फिर से हवा देता है, खासकर तब जब देश की राजनीति में ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है।

प्रकाश पाल द्वारा ओबामा की किताब का हवाला देना सिर्फ एक आरोप नहीं है , यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा है , जिससे वह कांग्रेस की वैचारिक नींव को ही चुनौती देती है। यह बयान उस संघर्ष का प्रतीक है, जो सिर्फ चुनावी जीत तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की राजनीतिक सोच की दिशा तय करने वाला है।

और यही वजह है कि कांग्रेस के वर्तमान पर नहीं, उसके पूर्व प्रधानमंत्रियों की सोच पर हमले हो रहे हैं ताकि आज की राजनीति का आधार बीते निर्णयों के आईने में देखा जा सके।

( लेखक पत्रकार सौरभ ‘स्वतंत्र ‘ द्विवेदी की कलम से )

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