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By – Saurabh Dwivedi

अशोक दुबे एक महामानव : अभिमन्यु भाई

सोशल मीडिया पर एक चर्चित नाम अशोक दुबे का है। इनकी समाजसेवा सोशल मीडिया के माध्यम से चर्चा का विषय बनी हुई है। मेरे संज्ञान में अनेक जिदगियों को जिंदगी प्रदान करने का श्रेय इन्हे जाता है। हाल ही में बांदा के बबेरू तहसील के बच्चों के इलाज व जीवन यापन हेतु पुणे से मनी ट्रांसफर का प्रयोग कर दान स्वरूप दस हजार रुपए की बड़ी राशि भेजी , साथ ही आश्वासन दिए कि बच्चों के जीवन हेतु छोटी – छोटी मदद करते रहेंगे।

चूंकि चित्रकूट के वरिष्ठ समाजसेवी अभिमन्यु भाई ने इनकी समाजसेवा के भाव व काम को नजदीक से देखा इसलिये फेसबुक पोस्ट के माध्यम से अशोक दुबे को महामानव की उपाधि दी।

सच है कि कभी रोजगार की तलाश में पुणे गमन कर चुके अशोक दुबे का जीवन बड़ा संघर्ष पूर्ण रहा। किन्तु सफलता के चरम पर पहुंचकर आप मनुष्य की जिंदगी के लिए आर्थिक व शारीरिक सहायता से सामने आने लगे।

महाराष्ट्र के पुणे में भी चुपचाप शिक्षा और गरीबों की सेवा के लिए चुपचाप काम करते रहे। इधर फेसबुक , व्हाट्सएप के माध्यम से किसी बच्चे की बीमारी हो या फिर अन्य कोई समस्या आर्थिक मदद के लिए तत्पर हो जाते हैं।

ऐसे व्यक्ति के पास धन का सदुपयोग होता है। बिना किसी नाम की आकांक्षा रखते हुए जब कोई व्यक्ति इस प्रकार मानव सेवा करता है तो स्वामी विवेकानंद का मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है , जैसा दर्शन जमीनी स्तर पर जीवंत हो जाता है।

महसूस होता है कि समाजसेवी अशोक दुबे स्वामी विवेकानंद के मनुष्य और मनुष्यता के दर्शन पथ पर चल रहे हैं। ऐसे व्यक्ति के लिए एक ही प्रार्थना की जा सकती है कि वे धन धान्य से हमेशा परिपूर्ण रहें और जिंदगी पुष्प की तरह खिलती रहे।

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