दलाल किसी का ऐसा शिकार करते हैं कि अंततः शिकार व्यक्ति मानसिक रूप से उत्पीड़ित होकर हताश हो जाएगा या खुद के साथ अप्रिय घटना घटित कर लेगा। वहीं ऐसे प्रकरण पहले पुलिस प्रशासन तक पहुंचते नही और जब पहुंचते हैं तब उनका भी व्यवहार समझ से परे हो जाता है।
जब प्रिया मसाले के बृजेश त्रिपाठी सबसे बात करके थक हार गए तब एडीजी से बात की और उसके बाद कोतवाली कर्वी की पुलिस भी बिजली की तरह दौड़ने – भागने को मजबूर हुई और दलाल मोनू ठाकुर पिता के संग कोतवाली कर्वी आ गया।
लेकिन पूरा प्रकरण दिलचस्प है कि बिजली विभाग मे अधिकारियों की सह से किस तरह दलाली होती है। जिस प्रकार प्रदीप गुप्ता नामक जेई का दलाल मोनू ठाकुर है ऐसे ही दलाल सक्रिय हैं। जेई प्रदीप गुप्ता के नाम से विद्युत लाइन सिफ्ट कराने के नाम पर पहले तार आदि सामग्री लेने के नाम पर 20,000 ₹ ले गया फिर स्टीमेट की धनराशि जमा कराने के नाम पर 50,000 ₹ ले गया और कुल 70,000 लेकर उद्यमी से हेराफेरी करते रहे।
बृजेश त्रिपाठी ने जनसुनवाई एप से लेकर अफसरों से सीधी बातचीत की लेकिन जनसुनवाई मे ही जयप्रकाश नामक दारोगा द्वारा दलालों को ही गवाह बना लिया गया और मामले को फिर गोलमाल कर दिया गया , जेई प्रदीप गुप्ता के प्रभाव मे पुलिस अधिकारी भी आ जाते हैं।
अंततः परेशान होकर एडीजी से बृजेश त्रिपाठी ने बात की तो कोतवाली कर्वी पुलिस कुछ मजबूर हुई और मोनू ठाकुर को पिता सहित तलब कर लिया। अंततः इन दलालों ने अपनी दलाली को स्वीकार कर लिया , लेनदेन के 70,000 ₹ बृजेश त्रिपाठी को दारोगा रामाधार सिंह के समक्ष वापस किए।
विचारणीय तथ्य है कि दलाली कराने वाले जेई प्रदीप गुप्ता पर कोई कार्रवाई होगी ? एक उद्यमी का लंबा समय इस कार्य हेतु बर्बाद हुआ उसका दोष सिद्ध कर इन दलालों पर क्यों कार्रवाई नही होनी चाहिए ? एक ओर बिजनेस का माहौल बनाने की बात होती है तो दूसरी ओर एक उद्यमी के समय की कीमत को प्रशासन पर बैठे हुए हाई एजुकेटेड पर्सन ही नही समझ रहे फिर क्या होगा देश – प्रदेश का समृद्धशाली भविष्य ? बेहद चिंतनीय तथ्य है।
सूत्रों के मुताबिक बिजली विभाग मे मोनू ठाकुर और इसके दलाल भाइयों की खूब भाईगिरी चलती है सभी जमकर दलाली करते हैं और अफसरों के कृपा पात्र हैं। स्पष्ट है कि योगी सरकार कहती जरूर है कि दलाली बंद होगी परंतु जब तक अफसर का कोई पैंट दलाल मुक्त नही होगा तब तक दलाली बंद नही होगी फिर भी सरकार को एक उद्यमी के समय की कीमत को समझना चाहिए और मानसिक उत्पीड़न से बचाने के लिए अच्छे प्रयास करने होंगे।
गौर करने योग्य है कि चित्रकूट के अफसर गली मे घूम रहे दलालों से जनता को बचना चाहिए और कोशिश हो कि प्रत्येक कार्य बिना दलालों के हो सके.