By :- Saurabh Dwivedi
एक तरफ महिला प्रधान के पति प्रधान प्रतिनिधि बनकर प्रधानी कर रहे हैं और पत्नी महिला प्रधान ” हस्ताक्षर प्रधान ” बनकर रह जाती है। उसकी भूमिका स्टैंप तक सीमित हो जाती हैं। वहीं सबसे पिछड़े आकांक्षी जनपद चित्रकूट की सेमरिया जगन्नाथी की महिला प्रधान दिव्या त्रिपाठी लगातार चर्चा का विषय बनी रहती हैं। इन्हें पूर्व में कार्यों को दृष्टिगत रखते हुए रानी लक्ष्मीबाई सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
प्रधान संघ की जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी को गांव में विकास एवं खासतौर से महिलाओं के हित में जीवन परक कार्य करने के लिए इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में बेटियां अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में सात राज्यों की महिलाओं को सम्मानित किया गया।
दिव्या त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र से पहचान रखती हैं। बुंदेलखण्ड के पिछड़ेपन से सभी वाकिफ हैं। यहाँ की ग्रामीण महिलाओं का जीवन स्तर निम्न है , अपवाद को छोड़कर महिलाओं को जीवन स्वतंत्रता एवं शिक्षा के अवसर बेहद कम प्राप्त हुए हैं। हालात यह हैं कि महिला प्रधान की प्रधानी पति के हाथों की कठपुतली बन हुई है। परंतु इसी जनपद में एक पति दिव्या त्रिपाठी के हैं , जिन्होंने अपनी पत्नी को स्टैंप प्रधान नहीं बनाया। बल्कि जनप्रतिनिधि होने का सम्मान एवं स्वतंत्रता दोनों प्रदान की। यही वजह रही कि शपथ के दिन से यह महिला प्रधान चर्चा का विषय बनीं तो अनुगूँज उत्तर प्रदेश से दिल्ली तक पहुंच गई।
सम्मान समारोह में पूर्व सांसद बांदा भैरों प्रसाद मिश्र की गरिमामय उपस्थिति रही। जो पूर्व में आदर्श सांसद एवं नंबर वन सांसद के रूप में सम्मानित हो चुके हैं। इन्हीं की उपस्थिति में एक गांव की प्रधान को सम्मानित होने का अवसर मिला। सम्मान प्रदान करने में बीएजी फिल्म ग्रुप की एमडी अनुराधा प्रसाद , अहमदाबाद के सांसद द ग्रेट सोलंकी , फिल्म स्टार दिलीप सिंह एवं हरियाणा की इकलौती महिला सांसद सुनीता दुग्गल उपस्थित रहीं। उपरोक्त सभी ने सम्मानित किया।
इस अवसर पर महिला ग्राम प्रधान ने गांव की बेटियों और महिलाओं के नाम यह सम्मान समर्पित किया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मेरा सम्मान नहीं है , बल्कि गांव की बेटियों और महिलाओं का है। जिन्होंने मेरे हर संघर्ष मे साथ प्रदान किया। चूंकि महिलाओं से संवाद के बिना किसी प्रकार की जागरूकता नहीं लाई जा सकती। यह गर्व की बात है कि गांव की किशोरियां माॅडल स्कूल में पढ़ती हैं। उन्होंने गांव के बुजुर्गों को भी सम्मान समर्पित किया , जिन्होंने अपना प्रधान चुना , तभी यह सफर तय हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए ही नहीं बल्कि गांव की पवित्र भारत भूमि के लिए गर्व की बात है। यह सम्मान सेमरिया जगन्नाथी का सम्मान है। मैं यही चाहती हूँ कि इस गांव की तमाम बेटियां शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न क्षेत्रों में नाम कमाएं और सफलता के परचम स्थापित करें।
बहुत सुंदर पोस्ट