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राजनीति मे हवस के पुजारी अटल जी के विचार से खेल रहे हैं बड़ा सवाल है कि आखिर कौन अपनाएगा उनके महान विचार को ?

कुछ भी लिखना यूं तो बेकार है क्योंकि पढ़ने वाले पढ़कर समझने वाले लोग नही होंगे तो लिखना क्या ? देखकर सुनकर अपने मतलब की बात समझ लेते हैं लेकिन परहित की बात सिर्फ अटल ही समझते हैं जो सिर्फ नाम से नही बल्कि मन से आत्मा से परहित के लिए अटल होते हैं।

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के संदर्भ से अगर भाजपा के कार्यकर्ताओं को देखा समझा जाए तो क्या वह अटल जी की विचारधारा से मेल खाते हैं ? भाजपा के तमाम जनप्रतिनिध उनकी विचारधारा का अनुकरण करते हैं ?

जिस तरह वर्तमान भाजपा मे आंतरिक कलह है उससे वह एक दूसरे को काट रहे हैं और किसलिए काट रहे हैं ? सत्ता या धन !

सत्ता की शक्ति से धन का अर्जन जिससे जीवन का अर्थ निकल सके या फिर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो सत्ता के सहारे ऐसा पद पाना चाहते हैं कि उनका भी समाज मे कुछ नाम हो सके , लोग उनको भी माने।

इन्ही तमाम कारणों से भाजपा गुटबंदी का शिकार है। शिकारी कोई और नही बल्कि जिसको टिकट नही मिला या कोई पावरफुल पद नही मिला वही भाजपा का शिकार कर रहा है कैसे भी कर रहा है लेकिन कर रहा है।

यहाँ मसला भ्रष्टाचार का बिल्कुल नही है क्योंकि एक उदाहरण ऐसा नही मिलेगा जिसके समय मे भ्रष्टाचार ना रहा हो , और भ्रष्टाचार का सीधा सा मतलब धन से लगाया जाता है इस मामले मे भी समाज को गुमराह किया गया है जबकि दलगत विचारधारा के विरूद्ध आचरण भी भ्रष्टाचार कहलाता है।

दल के अंदर कितने दल हैं असल राजनीति यही है। एक व्यक्ति अगर धनपशु है तो वह हर रोज दूध देता है उसके थन से धन निकलता है वह कामधेनु की तरह इच्छा पूरी करता है बदले मे भूषा कपिला पशु आहार उसे चाहिए होता है और ऐसे धनपशु 24 × 7 राजनीति की जगह कूटनीति करते हैं ताकि उनका राजसी सिक्का खनखनाता रहे। इसलिए एक दल एक दिन दलदल मे धंस जाता है।

अब अटल जी को शत शत नमन जरूर करेंगे सुशासन दिवस की यात्रा जरूर निकालेंगे किन्तु अटल जी से अजात शत्रु का गुण कौन और कैसे अपनायेगा ? उनके कवि मन को कौन समझ पाएगा ? उन्होंने कैसे खिलाफ विचारधारा के दलों के साथ पूरे 5 साल केन्द्र की सरकार चलाई ? और क्यों सिर्फ 1 वोट से सरकार गिर जाने दी ? ऐसे आदर्श को मन मे बसाने से समस्या का अंत है !

महापुरूष कोई भी हों महत्वपूर्ण यह नही कि जयंती मनाई जाए महत्वपूर्ण यह है कि उनके महान विचारों का राष्ट्र और समाज कैसे बनाया जाएगा। उनके जैसा महान हृदय रखकर कैसे अपने लोगों को हृदय मे जगह देंगे जिससे कम से कम खुद की विचारधारा की सरकार और दल लोगों के दिलों मे जगह बनाए रखे।

इसलिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ट्विटर और फेसबुक पर शत शत नमन की कमेंट और लाइक पाने की वजह भर नही हैं बल्कि त्याग समर्पण और विश्वास तथा महानता के स्तरीय उदाहरण हैं , जिसे कम से कम भाजपाई महसूस करें और जन जन अपने राष्ट्र के लिए मनुष्यों मे ऐसे महापुरूष का अनुकरण करे , शेष महान अवतार इस देश को महानता की श्रेणी मे नंबर वन पर बनाए रखने के लिए आते रहे हैं।

किन्तु हवस के पुजारी अटल से खेल रहे हैं खेल जो राजनीति की हवस पूरी कर चरमसुख पाना चाहते हैं उनका राजनीतिक वीर्य स्खलन तो हमेशा तत्काल हो गया है अगर अटल जी जैसे महापुरूष के विचार ही अपना लेते तो यकीनन देश और समाज का भला निश्चित था।

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