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जन्माष्टमी 19 अगस्त को है इसलिए बांके बिहारी मंदिर मे साज – सज्जा का कार्यक्रम शुरू हो चुका है। बांके बिहारी के सेवक भारतेन्द्र जी महाराज अपने राधा रानी बांके बिहारी का श्रृंगार कर रहे थे , तभी अचानक हमारा पहुंचना हुआ वह एकाग्रता से बांके बिहारी की ओर निहार रहे थे।

हमे बोले कि पांच मिनट रूकिए फिर बात करते हैं। हमे भी महराज जी का इंतजार हो गया तो बांके बिहारी की ओर भक्ति भाव से मैं देखने लगा उनको एकटक देखना और भक्ति भाव से अपनी बातें कहना बड़ा अच्छा लगता है , मानसिक रूप से बिहारी जी को गुरू मान लो या सखा मान लीजिए।

आप जैसा भी रिश्ता श्रीकृष्ण भगवान से रखना चाहेंगे वह अपनी ओर से कह सकते हैं , मान सकते हैं। इसी मान्यता से अपने दुख – दर्द बांके बिहारी से कहो और राधा रानी से प्रार्थना करो तो अवश्य सुनते हैं। उनका प्रेम उनकी कृपा आपके अंतर्मन को दिव्यता से भर देगी।

इस बीच हम देख रहे थे कि जिस आईब्रो को महराज जी बना चुके थे फिर मिटाने लगे , ऐसा एक दो बार हुआ कि वह फिर बिहारी जी की ओर देखते और मन ही मन दृष्टियों से कुछ तय करते फिर आईब्रो बनाने लगते।

हम महराज जी का एक प्रयास और देख रहे थे कि वह पुनः बिहारी जी की आईब्रो बड़े ध्यान – प्रेम से बना रहे हैं। एक पलक भी इधर-उधर नही हो रही थी। वह बिहारी जी की आईब्रो बनाने मे ऐसे लगनशील दिखे जैसे प्रेम का कोई खास आयाम हो और एकाएक महराज जी अत्यंत प्रसन्नता से हमारी ओर देखे और फिर जो कहने लगे वो इस प्रकार था…..

भारतेन्द्र जी महाराज कहते हैं कि कितनी बार प्रयास किया लेकिन बिहारी जी की आईब्रो बन नही रही थी। हर बार मुझसे कुछ ना कुछ गडबड हो रहा था।

मुझसे पहले ही राधा रानी बोल रही थीं कि बना लोगे ? तुम बना लोगे आईब्रो तो मैंने भी कह दिया कि हाँ बना लूंगा। हमारी तो बात लग गई थी।

लेकिन मैं हर बार असफल हो रहा था फिर राधा रानी के सामने हमने आत्मसमर्पण कर दिया और कहा कि हमसे नही हो पाएगा।

अब आप ही बनाओ इनकी आईब्रो , जब राधा रानी बनाने लगीं तो देखिए एक बार कितने सुंदर आईब्रो बन गईं।

सिर्फ एक प्रयास मे चंद्राकार भौंहे बिहारी जी की कितनी सुंदर भा रही हैं। महराज जी कहने लगे यही तो बात है कि राधा रानी ही बिहारी जी का श्रृंगार कर सकती हैं , हमारे वश की बात कहाँ हैं !

चिंतन करने योग्य है जब महराज जी ने आत्मसमर्पण कर दिया तो राधा रानी ने कर दिखाया , यही जीवन है और इस जीवन के आत्मसमर्पण से जो भक्ति भाव उभरता है वही मनुष्य को भौतिक जीवन के बंधन से मुक्त कर अलौकिक जीवन का आनंद महसूस कराता है।

असल मे कर्ता परमात्मा ही है जैसे राधा रानी यहाँ कर्ता हुईं और महराज जी से उन्होंने आईब्रो बनवा लिया जबकि अदृश्य रूप से राधा रानी की कलात्मकता से बिहारी जी की आईब्रो बन सकीं।

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