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By – Saurabh Dwivedi

कितनी दिलचस्प मोहब्बत की कहानी है। जहाँ मोहब्बत थी या नहीं थी फिर भी मोहब्बत है। हाँ हृदय की लंबाई – चौड़ाई और गहराई में जगह घेर लेने के बाद मधुरिमा ने कहा __

मैं तुझसे मुहब्बत नहीं करती , नहीं करती , नहीं करती। ये मोहब्बत से इंकार करने का ऐसा तलाक था कि सुनकर हृदय का हलाला हो जाए अर्थात लहूलुहान होकर गम का प्याला पीकर मोहब्बत को पा लेने का साहस था।

हनी के साथ ऐसा ही होता था। मधुरिमा मोहब्बत से इंकार करने के बाद भी फिर से इस तरह बातें करने लगती कि मानों सौ इंकार के बाद भी प्रेम भरी बातों से एक इकरार ही पर्याप्त है। निन्यानवे इकरार और नहीं चाहिए।

अच्छा हनी उसी प्रकार इसलिये हो जाता कि वो मधुरिमा के व्यक्तित्व से ना सिर्फ परिचित था। बल्कि मन की गहराई से महसूस करता था। बेशक वो अक्सर अलविदा कह दे या फिर प्रेम होने से इंकार करे , पर जिस प्रकार के गहरे रिश्ते उन दोनों के बीच थे। वैसे सामान्यतया बिन प्रेम अंकुरण के किसी भी पुरूष व औरत के मध्य असंभव है।

कुछ प्रेम की कहानी इस तरह से अंदर ही अंदर दफन हो जाती है कि हमारे समाज में प्रेम की सहज अभिव्यक्ति करने की स्वतंत्रता नहीं है। कुछ कहानियां नकली पात्रों के जरिए कुछ छुपते – छुपाते असली रूप में लोगों द्वारा पढ़ी जाने लगती हैं , फिर भी भय बना रहता कि कोई रहस्य समझ गया तो उनके जीवन पर क्या बीतेगी ?

खासतौर से ऐसी कहानी जो बिन शादी के प्रेम तक ही सीमित रह गई हो या ऐसी कहानी की शादी होने के बावजूद भी कोई किसी के गहरे प्रेम में समा गया हो। कोई शक नहीं है कि प्रेम होने के लिए शादी ही मंजिल हो और शादी के बाद कोई पुरुष और औरत प्रेम ना करें या स्वयमेव प्रेम ना हो जाए। यहाँ ना शब्द यकीन का पर्याय हो जाता है कि ऐसा हो जाता है।

जब शादी के बाद कोई पुरूष किसी औरत को चाहता है तो उस चाहत में भी सिर्फ देह ही लक्ष्य हो ऐसा नहीं होता। बल्कि मन का सुख बड़ी वजह हो जाती है। हमें जब किसी का मन अपनी तरह महसूस होने लगता है और शब्दों की गहराई से अपनत्व का सागर बहने लगता है तब ऐसा हो जाता है। ऐसे ही किसी औरत के साथ भी हो जाता है।

कुछ बिना मंजिल के रिश्ते जीवन के सफर में किसी जन्म की वजह से बन जाते हैं। ऐसे ही किसी से प्रेम महसूस होने की वजह किसी जन्म का रिश्ता भी हो सकता है। वरना इतने बड़े संसार में हर किसी से हर किसी को प्रेम महसूस नहीं होता।

इसलिये प्रेम महसूस होने पर समाज की पवित्रता और अपवित्रता जैसी बातें परेशान कितनी भी करें , फिर भी मधुरिमा और हनी जैसी प्रेम कहानी का अस्तित्व होता है। जिस प्रेम में समाज की मान मर्यादा भंग हुई होगी पर मन का सुकून वास्तव में किसी जन्म के रिश्ते का अहसास करा देता है।

फिर भी सवाल स्वयं जन्म लेता है कि ऐसा हुआ भी और सबकूछ महसूस कर के आजीवन महसूस कर जीना है। कहानी की तरह जिंदगी ऐसे ही जी जाती है। क्योंकि जिंदगी एक कहानी है।

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