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By – Saurabh Dwivedi

चित्रकूट इंटर कॉलेज में संविदा कर्मी एवं प्रतिभाशाली चित्रकार विनय गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। जिसके आपरेशन के लिए सरकारी व गैरसरकारी मदद की जरूरत हुई। विनय ने स्वयं सरकारी स्तर पर पत्राचार कर पहल जारी रखी। चूंकि सरकार नौ दिन चले अढ़ाई कोस की तरह काम करने के लिए जानी जाती है। यहाँ भी यही चाल और ढुलमुल रवैया जारी रहा। राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर पीएम और यूपी सीएम तक पत्राचार के लंबे समय बाद बामुश्किल योगी सरकार ने ऐसा धन जारी किया जो सिर्फ पीजीआई के अंदर लगने वाले चार्ज में खर्च किया जा सकता है।

जबकि बाहर मेडिकल स्टोर आदि से दवा लेने में कैश की जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य लाभ एवं पारिवारिक स्थिति को बेहतर बनाए रखने हेतु विनय के सामने अंधकार ही छा रहा था। चूंकि विनय के पास फिल्मी डायलॉग की तरह ” सिर्फ माँ ” हैं। विनय यही कह सकते हैं कि मेरे पास माँ है। अपनी माँ की बीमारी को ठीक कराने के लिए अर्जित धन से हमेशा प्रयास करते रहे। किन्तु यह सपूत अपनी ही बीमारी के लिए दर – दर भटक रहा था।

इनकी मदद हेतु हमारा प्रयास संस्था की तरफ से पहल शुरू हुई। जिसमें संस्था के अध्यक्ष व उमा आटोमोबाइल के डायरेक्टर राजीव श्रीवास्तव ने नौ हजार ₹ की मदद घर जाकर प्रदान की। इससे पहले संस्था के संरक्षक अशोक दुबे ने पंद्रह हजार ₹ की मदद प्रदान कर स्वास्थ्य लाभ दिलाने में मजबूत पहल की थी। अशोक दुबे वरिष्ठ समाजसेवी हैं , तमाम जिंदगियों को बचाने का श्रेय इन्ही को जाता है। वैसे इनका कहना है कि कर्ता-धर्ता परमात्मा है , मैं सिर्फ निमित्त मात्र हूँ।

संस्था के संरक्षक के रूप में मानव सेवा प्रेमी व्यक्तित्व का मिल जाना ही भविष्य में संस्था द्वारा उत्कृष्ट समाजसेवा के कार्य करने में सफलता प्राप्त करेगी , ऐसी आशा इसलिये की जा सकती है कि संरक्षक अशोक दुबे हैं तो वहीं सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर युवाओं की अच्छी टीम सक्रिय है। शनैः शनैः सामाजिक – पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम किया जाएगा।

विनय को अभी लगभग उन्तालीस हजार ₹ की मदद की और आवश्यकता है। उपर्युक्त मदद में विनय के मुताबिक जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर का भी पंद्रह हजार ₹ का योगदान है। इस प्रकार के सामाजिक योगदान से एक जिंदगी बचा लेना फिर और जिंदगियों के लिए काम करना ही जीवन का ध्येय होना चाहिए। पत्रकारिता का लेखन के साथ यह सामाजिक स्वरूप व्यापक बदलाव ला सकेगा।

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