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प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को सुनने के पश्चात महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी से जब पूंछा गया कि क्या सुना ? ऐसी कोई बात जो मन को छू गई हो तो वह बड़ी भावुक होकर बोलती हैं कि मैं बैठे – बैठे कल्पना कर रही थी कि पीएम मोदी देश के कोने कोने से सफलता की ऐसी ऐसी प्रेरक कहानियाँ लाते हैं कि बस लगता है कि देश का निर्माण नागरिक कर रहे हैं और उसमे महिलाओं का योगदान कितना ज्यादा है।

इसलिए मेरे मन मे वो कहावत आई कि जहाँ ना पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे कवि तो समय के साथ कहावतें किसी के नाम के साथ जुड़ जाती हैं और उन पर कुछ संपादन हो जाता है तो मुझे लगा कि अब यह कहा जाना भी उचित होगा कि ” जहाँ ना पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे मोदी “।

इसके तथ्य हैं कि वह उन महिलाओं पर बात करते हैं जो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र मे काम करती हैं। स्वयं सहायता समूह मे काम करने वाली वे महिलाएं जो अपनी जैसी महिलाओं को रोजगार देती हैं। पंद्रह – पच्चीस और पचास लोगों का समूह जो सामूहिक रूप से जीवनयापन हेतु कमाने का काम करती हैं।

और जब मोदी जी ऐसे लोगों से बात करते हैं तो उन लोगों का सेल्फ कॉन्फिडेंस कितना ज्यादा हो जाता होगा जैसे कि 100 वें एपिसोड मे ही एक व्यक्ति ने कहा कि ” देश के प्रथम सेवक से बात करता हूँ मेरे लिए इससे बड़े सौभाग्य की बात नही हो सकती “। यह अपने आप मे किसी भी नेता के लिए महत्वपूर्ण है और आम आवाम के लिए इतना आनंद का विषय है कि स्वप्न साकार होने जैसा हो जाता है आखिर किसे अच्छा नही लगेगा जिससे देश के प्रधानमंत्री की बात हो जाए।

वह कहती हैं कि मोदी जी क्या कर सकते हैं ? सबको प्रेरणा दे सकते हैं और हम आम लोग ही राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। देश के नागरिक के प्रयास से राष्ट्र और जीवन सुन्दर सशक्त बनता है इसलिए वो कहते हैं कि सक्षम लोग देश के धनाढ्य लोग ” विदेश मे टूरिज्म मे जाने से पहले देश के कम से कम 15 टूरिज्म प्लेस पर जाएं। “ अब इस प्रयास से किसको फायदा होगा ? हमें और हमारे देश को , कुछ लोगों का व्यापार होगा और उससे अर्थ-व्यवस्था हाई लेवल की होगी , सुदृढ होगी।

मन की बात कार्यक्रम मे वह जम्मू-कश्मीर के मंजूर अहमद से भी बात करते हैं और कहते हैं कि वोकल फाॅर लोकल की ताकत कितनी जबरदस्त है। तो एक कदम आगे बढ़ते हुए विजयशांति नामक महिला से कहते हैं कि ” Now local for global “ तो प्रधानमंत्री मोदी जी फौरन एक दिशा से दूसरी दिशा तक सेकंड मे किसी अभियान को लोकल से ग्लोबल तक स्थापित कर देते हैं।

इसलिए आलोचना करने वाले लोग कब तक आलोचना करेंगे जब विभिन्न राष्ट्रों को संवाद का यह तरीका इतना भा गया है कि यूनेस्को तक से तारीफ हो रही है। वास्तव मे संवाद के इस शतक से विश्व हैरान है चूंकि प्रधानमंत्री कहते हैं कि मन की बात मेरी आस्था है इसलिए मैं भी भावुक हृदय से कह पा रही हूँ कि जहाँ ना पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे मोदी।

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