@Saurabh Dwivedi
एक मूर्ति आकर्षित करने लगती है। एक पत्थर की मूर्ति मे भी तेज होता है। कोई शक्ति होती है और ऊर्जा होती है।
मेरा हृदय नहीं कह रहा कि इस रहस्य को उजागर करूं ! वह स्थान और वो मंदिर जहाँ मैं सिर्फ इसलिए गया था कि वहाँ मंदिर है और देवता हैं।
सारे रास्ते यही कहते जा रहा था कि हनुमान जी हैं इसलिए जा रहा हूँ। अन्यथा जाने की तनिक इच्छा नही हो रही थी। उसके ऐसे अनगिनत कारण थे जो मेरे अंतर्मन मे बीज की तरह बोए हैं। वह अंकुरित हो रहे थे।
इससे पहले भी मैं उस स्थान मे कुछ वर्ष पहले एक बार गया था। तब मेरा जाना और आना हुआ था। शायद समय इसी को कहते हैं।
समय का आ जाना। कहते हैं समय बदल गया तो जीवन बदल जाता है। समय के बदलने के साथ जीवन बदलने लगता है। जैसा मन होगा वैसा तन होगा। अंतर्मन की अवस्था का तन पर खूब असर पड़ता है। इसलिए हमेशा अंतर्मन पवित्र भावनाओं से सिंचित रहना चाहिए और अच्छे विचार नाड़ियो मे रक्त की तरह प्रवाहित होते रहें।
यह समय की महत्ता है। दूसरी बार वहाँ एक मन ना जाने का था। एक अंतर्मन कह रहा था चलो कुछ भी हो हनुमान जी के दर्शन होंगे उनकी शरण में पहुंच जाऊंगा।
पहुंचते ही मुझे प्रसाद मिला। प्रसाद पान के पश्चात समस्त इंद्रियों को एकाकार कर हनुमान जी की शरण मे था। सरल भाव से समर्पित हो गया। प्रार्थना की ओर वहीं इत्तेफाक से मंत्र जागृत हो गया।
जागृत हो जाना इसलिए कि बेशक वह मंत्र कभी पढ़ते – पढ़ते याद हुआ था। किन्तु उस दिन पंडित जी के कंठ से सुनते ही मेरी आत्मा से मंत्र जागृत हो गया। मैं बहुत प्रसन्न हुआ और आश्चर्यचकित होकर सोचने लगा कि बचपन के बाद अब यह मंत्र मिला है।
उस वक्त इतना गहरा अहसास नहीं था। वहाँ से वापस आने के बाद से लगातार हनुमान जी की वह मूर्ति स्पष्ट महसूस होती है। एक ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता है और एक निमंत्रण मिलता महसूस हो रहा है।
मुझे मेरे शब्दो मे लगने लगा मूर्ति से सम्मोहन हो गया है। यह हनुमंत कृपा ही हो सकती है। सनातन शास्त्रों मे कहा गया है कि शब्द ब्रह्म होते हैं तो मंत्र मे शक्ति होती है और मंदिर शक्तिपीठ होते हैं। मूर्ति सिद्ध हो जाती हैं। प्राण प्रतिष्ठा इसी को कहते हैं।
जीवन का सर्वोत्तम भाग भक्ति है। जब भक्ति भाव से मंदिर मे प्रवेश करेंगे तब शक्तिपीठ की ऊर्जा देह से लेकर अंतर्मन तक प्रवाहित हो जाएगी। मूर्ति का सम्मोहन और मंत्र , जीवन पर बड़ी कृपा है।
ॐ हनुमंते नमः
ॐ ब्रह्मदेवाय नमः