चित्रकूट : पिता ने मरा हुआ मान लिया था। हताश हो कर घर मे लिटा दिया था। अब राम जी की इच्छा जान रहे या जाए घर मे फूटी कौड़ी नही बची तो असंभव है इलाज !
प्रयागराज मे अभिषेक राजपूत का एक प्राइवेट हॉस्पिटल मे लेफ्ट लेग काट दिया गया। पिछले दिनों चित्रकूट के भरतकूप मे अभिषेक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था। उसके दोनों पैर मे गंभीर चोट आई थी।
इलाज के लिए जिला अस्पताल चित्रकूट आया किन्तु प्राथमिक उपचार के बाद रिफर कर दिया गया। सीएमएस डा. सुधीर शर्मा बताते हैं कि एंबुलेंस द्वारा मेडिकल कॉलेज प्रयागराज को रिफर किया गया जहां उसका इलाज मुफ्त मे ही होता।
अभिषेक के परिजन उसे स्वरूपरानी अस्पताल ले गए किन्तु यहां उसे एडमिट नही किया गया तो ये लोग बीएचयू बनारस पहुंच गए , बनारस मे बेड नही मिल सके तो फिर लौटकर प्रयागराज आए और एक प्राइवेट अस्पताल मे इलाज कराने लगे।
जहां परिवार ने कर्ज लेकर करीब 5 से 6 लाख रुपए खर्च कर दिए। जब पैसा खत्म हो गया तब उस अस्पताल ने भी इलाज करने से मना कर दिया। फर्क साफ है कि निजी अस्पताल मे इंसानियत नाम की चीज नही रह गई।
पिता संतोष राजपूत पुत्र को लेकर घर आ गए। अब कहीं से कोई बंदोबस्त नही था। उन्होंने सोचा अब जिएगा या मरेगा क्या किया जाएगा जबकि अभिषेक के कटे हुए पैर मे पुनः सड़न पैदा हो गई।
इस दौरान ही प्रिया मसाले की फैक्ट्री मे कर्मचारी इस गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे थे। जिसे डायरेक्टर बृजेश त्रिपाठी ने सुना तो पड़ताल करने लगे। उन्होंने कहा कि मैंने एक्सीडेंट की बात तो सुन रखी थी पर मामला इतना गंभीर है ये अंदाजा नही था।
वो पिता संतोष राजपूत से मिलते हैं और केस हिस्ट्री देखकर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के आफिस मे फोन लगा देते हैं जहां उनके अस्सिटेंट से बात होती है फिर डिप्टी सीएम से भी फोन पर बात हो गई।
लखनऊ से डिप्टी सीएम कार्यालय से जनपद चित्रकूट मे सक्षम अधिकारियों के पास फोन आए तो अभिषेक को जिला अस्पताल चित्रकूट मे पुनः भर्ती किया गया। अब उसी पैर की सड़न समाप्त हो चुकी है और जिला अस्पताल मे ही अभिषेक का इलाज हो रहा है।
अभिषेक से बातचीत की गई जिसमे उसने कहा कि अब मैं काफी स्वस्थ हूँ। दाहिने पैर मे भी प्लास्टर बांधा जाएगा चिकित्सक कह रहे हैं घाव भर जाए और लेफ्ट पैर का सड़न समाप्त हो चुका है। खाना पीना समय पर अस्पताल की ओर से मिलता है।
अभिषेक राजपूत हमे भी स्वस्थ नजर आया। अभी उसके दाहिने पैर मे बहुत काम होना शेष है तब वह शायद कुछ करने योग्य हो फिलहाल अभी ये परिवार भारी कर्ज मे है।
प्रिया मसाले के डायरेक्टर बृजेश त्रिपाठी कहते हैं कि जितना सक्षम हूँ एकमुश्त 25,000 ₹ की आर्थिक मदद की है , आगे भी जो संभव होगा किया जाएगा। लेकिन शेष बहुत लंबी रकम है इसलिए पिता घर बेचने तक की बात कर रहे हैं लेकिन घर नही तो रहेंगे कहां ? सवाल बड़ा है !
एक व्यक्ति की सामाजिक मदद हुई पड़ोस का धर्म निभाया गया। जानकारों का कहना है कि अज्ञानता मे लोग प्राइवेट अस्पताल का रूख करते हैं फिर लुटने के बाद परेशान होते हैं जबकि सरकारी अस्पताल मे सरकार द्वारा बहुत सारा इलाज मुफ्त ही मिल जाता है। इसलिए स्वास्थ्य के मामले मे धन के मामले मे ज्ञान सबको होना चाहिए।
प्रिया मसाले के डायरेक्टर बृजेश त्रिपाठी के इस सामाजिक प्रयास की सभी प्रशंसा कर रहे हैं इस तरह की सकारात्मक पहल अच्छा संदेश देती है।