By – Saurabh Dwivedi
ज्वालामुखी धधक रहा है, एक ऐसी चेतावनी जारी होते ही आभास हो जाता कि अब कुछ ना कुछ नुकसान हो सकता है। भविष्य में भूकंप आ सकता है। स्पष्ट है कि ज्वालामुखी के फटने से लाभ से ज्यादा नुकसान की ओर आकर्षित होते हैं।
हम मनुष्यों के अंदर मन है, जो काल्पनिक व आभासी है। जिंदगी में क्या कुछ है और क्या होने वाला है, सबकुछ मन से महसूस होता है। जिस पर हमारे क्रियाकलाप, हाव – भाव निर्भर हैं। सुख – दुख का एहसास मन से महसूस होता है। कौन अपना, कौन पराया और किससे प्रेम है अथवा पूर्व जन्म का कोई रिश्ता ! मन के हाव भाव और उसकी चाल को जिसने महसूस कर लिया, वो जीवन के सार को समझ सकता है। इस देश में एक तरफ ज्वालामुखी धधकता ही रहता है। आजादी के समय से यहाँ हिंसा का बीज डाल दिया गया था।
अहिंसा का पाठ पढ़ते-पढ़ते “अ” कब लुप्त हो गया, पता ही नहीं चला। फिर भी हम अहिंसावादी हैं। यहाँ हिन्दू और मुसलमान का ज्वालामुखी बन गया है। एक बड़ी अदृश्य सी चीन की दीवार से बड़ी दीवार दो धर्मों के बीच खिची हुई है। जिसे पाटने के लिए भाई – चारे का नारा दिया गया। गंगा जामुनी तहजीब की बात की गई, परंतु गंगा जमुना की तरह सोच निर्मल ना होकर मनुष्यों के सीने के अंदर के नीर में कचरा ही कचरा व्याप्त हो गया है।
इसलिए चंदन मार दिया जाता है, अंकित सक्सेना को उसी प्यार की मजहबी मौत मिलती है, जिसमें किसी अंकिता को अब्दुल और उसके परिवार द्वारा सहर्ष अपना लिया जाता है, पर वो सलीमा को अंकित के साथ नहीं रहने देगें। अखलाक के लिए नेताओं की फौज खड़ी हो जाती है, प्रतापगढ़ के सिओ जियाउल हक की मौत पर शासन तंत्र फौरन पहुंचकर प्रसाद बांटकर संबल प्रदान करता है।
अब मिस्टर ओवैसी को पाकिस्तानी ना कहे जाने के लिए कानून चाहिए, परंतु स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि सोचिए दोष किसे है ? किसी और को दोष देने से पहले स्वयं पर विचार करिए कि दोष कहीं ना कहीं स्वयं में छिपा हुआ है।
जो भारतीय हैं, स्वयं को भारतवासी मानते हैं और भारत माता से अस्पृश्यता नहीं महसूस करते। यह पृथ्वी आदिकाल से मातृशक्ति की पृथ्वी है। सम्पूर्ण विश्व में भारत की धरती वो जगह है, जो मातृशक्ति को अलंकरण प्रदान करती है।
किन्तु भारत की राजनीति और राजनेताओं ने इसे शनैः शनैः दूषित कर रखा है। इसलिये धार्मिकता से लेकर रोजगार, किसानी आदि तमाम मुद्दों से लेकर हर तरफ हर इंसान में कहीं ना कहीं एक ज्वालामुखी धधक रहा, जो भारत में कभी भी फट सकता है, अगर समय से सबकुछ नियंत्रित कर ठीक नहीं किया गया।
पिछले दिनों एक खबर के मुताबिक जापान में अपराध ना के बराबर है, राम राज्य जापान में अवतरित हुआ और भारत में राम राज्य एक कल्पना है। वहाँ बच्चे स्वतंत्रता से आ जा सकते हैं व सुरक्षित हैं ।