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By – Saurabh Dwivedi

गौ रक्षा और गौसेवा की समझ युवाओं में विकसित होना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। जब – जब गौसेवा की बात होगी तब – तब स्वामी विवेकानंद के वचन याद आएंगे। उन्होंने कहा था कि गौसेवा करना ही गौरक्षा है। किन्तु देश – प्रदेश से गौरुक्षा के नाम पर होने वाली लिन्चिंग की घटनाएं ना सिर्फ शर्मसार करती हैं , बल्कि भारतीय संस्कृति में धब्बा बन जाती हैं।

केन्द्र में मोदी सरकार एवं राज्य में योगी सरकार है। दोनो सरकारें राष्ट्रवादी विचारधारा से हैं , भाजपा की सरकारें हैं। सिर्फ इतना ही नहीं देश के सबसे अधिक राज्यों में भाजपा सरकार है। इनके एजेंडे में हमेशा गौरक्षा रही है। किन्तु हकीकत यही है कि उत्तर प्रदेश के गांव – शहर अन्ना गौवंश की पारदर्शी गाथा बन चुके हैं। जिससे किसानों को भी खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

अन्ना गौवंश खड़ी फसल को दिन और रात के किसी भी पहर में मौका मिलते ही चट कर जाते हैं। जो पशु किसान के लिए लाभदायक थे , वही नुकसानदायक सिद्ध हुए हैं। जनपद चित्रकूट के समाजसेवी व बुंदेली सेना के अध्यक्ष अजीत सिंह मंदाकिनी नदी की सफाई अभियान हेतु तो जाने जाते रहे हैं। परंतु इस समय गौसेवा के लिए भी उनका ही नाम उभरकर सामने आया।

उनका कहना है कि किसी भी कार्य को शुरूआत करने की जरूरत होती है। सत्कर्म करने वाले लोगों के सामने कुछ समय के लिए रोड़ा बनकर तमाम अवरोध आते हैं। किन्तु समाज की संरचना इतनी खूबसूरत है कि लोग सत्कर्म को समर्थन भी प्रदान करते हैं। नगर के व्यापारी व सामाजिक लोग भी अब गौसेवा के लिए सहयोग प्रदान करने लगे हैं।

बेशक हर रोज व्यापारी वर्ग से और सामाजिक क्षेत्र से तमाम लोग गौसेवा में यथायोग्य सहयोग करते नजर आते हैं। अंकित पहारिया शहर के प्रमुख व्यवसायी हैं , साथ ही गौसेवा के काम मे भी सहयोग प्रदान करते हैं। इस प्रकार से यह समझ में आया है कि सामाजिक समस्या का अंत सामाजिक लोग आपसी सहयोग से कर सकते हैं। चूंकि यह समस्या भी सामाजिक है , जिसका राजनीतिकरण अंधता के साथ अधिक कर दिया गया है। अतः युवाओं को ऐसे समाजसेवी युवाओं से प्रेरणा लेने की जरूरत है कि गौसेवा ही गौरक्षा है। एक मिशाल के तौर पर कर्वी नगर की गौसेवा और गौसेवकों से सीखा जा सकता है।

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