@Shiv sharma
गोंडा / परसपुर : उत्तर प्रदेश मे स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक लगातार औचक निरीक्षण कर रहे थे फिर भी स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त नही नजर आ रही। किस्सा सिर्फ वही है सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल तक की दौड़ जैसे कहावत है गिल्ली की दौड़ पीपल के वृक्ष तक !
परसपुर थाना क्षेत्र के गरोटी गाँव की ज्योति जो अब इस दुनिया मे नही रही , वह माँ बनने जा रही थी। बच्चा जनने आई ज्योति व उसके परिजनों को आशा बहू ने गुमराह किया और प्राइवेट अस्पताल ले गई।
परिजनों का कहना है कि आशा बहू नीलम सिंह की सहारा अस्पताल चलाने वाली महिला डाक्टर से प्रत्येक केस लाने पर प्रोत्साहन मिलता है जिसका उन्हें बाद मे पता चला। असल मे सहारा अस्पताल उसी डाक्टर का है जो सरकारी अस्पताल मे भी सरकारी चिकित्सक है और खुलेआम वह प्राइवेट प्रैक्टिस करती हैं।
किसी भी प्रसूता को सरकारी से प्राइवेट तक ले जाने मे सिर्फ इतना कहना कि केस बड़ा गंभीर है और सरकारी अस्पताल मे बहुत भीड़ है ऊपर से कब कौन देखभाल करे पता नही ? इसलिए जान बचाने के लिए ज्योति को उसके पति सहारा अस्पताल ले गए जहाँ उसकी जान चली गई।
ज्योति को तब अस्पताल से चिकित्सक ओएन पांडेय के यहाँ रेफर किया गया जब वह मर चुकी थी। चिकित्सक ओएन पांडेय ने जांचने के बाद साफ कहा अब तक कहाँ थे ? यह तो दो तीन घंटे पूर्व मर चुकी है।
ऐसी दर्जनों घटनाएं जनपद मे हो जाती हैं और प्रदेश मे घटने वाले आंकड़े नही है वरना हर जनपद की यही कहानी है। स्वास्थ्य सेवा व्यापार बन चुकी है और आशाएं अब उस व्यापार का सबसे बड़ा हिस्सा बन रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को जच्चा बच्चा हेतु तीसरी नजर से निगरानी करनी चाहिए।