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नांदी के हनुमान जी पुजारी महंत महेन्द्र दास जी महराज ने कहा यह अभियान हनुमान जी की कृपा से ही संभव हुआ है ; मेरी हनुमान जी महराज से प्रार्थना रहेगी कि यह निरंतर चलता रहे और आप मनुष्य के मानस जागरण हेतु जीवन , धर्म और आध्यात्म पर बात करते रहें। यह सभी जानते हैं कि सुन्दरकाण्ड का पाठ करने भर से हमारे बड़े से बड़े कष्ट कट जाते हैं। मुझे विश्वास है कि हनुमान जी कृपा से आपका यह ध्येय आजीवन चलता रहेगा।

एक शुरूआत अंधकार मे प्रकाश लाने के लिए स्वयं हुई थी। एक समय रहा जब लगा कि नांदी के हनुमान जी मे पांच सुन्दरकाण्ड समर्पण भाव से रख दूं और चुपचाप ऐसा ही किया था। ताकि भक्त आएंगे और पढ़ेंगे।

फिर मैंने अचानक से कहीं पढ़ा कि सुन्दरकाण्ड का दान करना चाहिए। ये याद नही है कहाँ पढ़ा था और कब पढ़ा ! उसका अपना पुण्य लाभ का आशय भी लिखा हुआ था।

हम अपने जीवन मे अक्सर कुछ ध्येय बनाते हैं। यहाँ तक कि हमारे जन्म के समय से परिवारी जन हमारे जीवन का उद्देश्य सेट करने लगते हैं और इसको देखते हुए ही हमारी शिक्षा – दीक्षा शुरू होती है। किन्तु सच है कि जीवन के बहुत से ध्येय अधूरे रह जाते हैं। यही से जीवन मे सफलता – असफलता की कहानी शुरू हो जाती है।

हम बहुत सी योजनाएं बनाते हैं। हमारी बहुत सी योजनाएं सफल नही होती और यहाँ तक कि हमारे सामने कोई और ही योजना आ जाती है फिर हमे उस योजना पर काम करना पड़ता है अर्थात हमारी योजनाओं से सर्वोपरि उसकी योजना है जो हमारे जीवन को प्रभावित करती है।

हम अपनी भौतिक दृष्टि से देखते हैं लेकिन हम पर एक अलौकिक दृष्टि हमेशा टिकी रहती है इसलिए अंधकार के समय हम परमात्मा की शरण मे स्वयं को समर्पित कर देते हैं।

इसी समर्पण भाव के साथ सुन्दरकाण्ड भेट कर पाठ करने को कहने की यात्रा शुरू हुई। स्व कल्याण के साथ जगत की कल्याण की भावना साकार हो इस सोच से जीवन पर धर्म पर और आध्यात्म पर बात करने का अवसर भी मिलेगा।

भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष दिव्या त्रिपाठी

अदृश्य रूप से जो यात्रा नांदी के हनुमान जी से शुरू हुई उसे शुक्रवार 7 अक्टूबर को मंदिर के पुजारी महंत महेन्द्र दास जी महराज को सुन्दरकाण्ड भेट कर सदृश्य करने का शुभ समय मिला। आपको यह बताने का अवसर मिला कि कैसे सुन्दरकाण्ड भेट करने की यात्रा का शुभारंभ हुआ।

महराज के मुख पर कमल खिलने जैसी मुस्कान खिल गई फिर उन्होंने हमे ढेर सारे लड्डू प्रसाद मे दिए। तत्पश्चात पूजा कर हम निकलने ही वाले थे कि बारिश होने लगी और हनुमान जी का प्रताप ही देखिए हमने प्रसाद तो लिया और वहाँ बैठे हुए अन्य भक्तों को प्रसाद बांट दिया तो वहीं सबको हनुमान जी का प्रसाद स्वरूप आशीर्वाद मिल गया।

जय हनुमान।।

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