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@Saurabh Dwivedi

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मकड़ी का जाल और जिंदगी

हम जीवन को एक समस्या क्यों बना देते हैं ? यह मूलतः समझने का समय है। इस समय जीवन को समझा जा सकता है। हर व्यक्ति अधिक से अधिक विचार कर सकता है चूंकि इस समय सबका जीवन मृत्यु के झूला पुल पर झूल रहा है।

असल मे समस्या जन्म होने से पहले और बाद से ही शुरू हो जाती है क्या ? आज मेरे कुछ कहने का वक्त नहीं है कि मैं विचार प्रस्तुत करूं ! मात्र इतना जानना चाहता हूँ कि आज आपका जीवन समस्या मे है तो उसकी वजह स्वयं आप हो या कोई और भी है ? आपके जीवन की समस्या मे किन किन का किरदार है ?

समस्या व्यक्तिगत है या पारिवारिक है ! परिवार की वजह से समस्याओं ने आपको जकड़ रखा है ? पिता समस्या की जड़ हैं ? कम से कम माता समस्या की जड़ मे शायद ही मिलें या होंगी तो बहुत कम होंगी खासतौर से भारत जैसे समाज मे माँ समस्या की जननी बमुश्किल होगी। बड़ी सहज सी कल्पना है मेरी यदि माँ के हाथों मे भविष्य होता , माँ मुख्य भूमिका के निर्वहन मे होती तो आज सृष्टि की रचना ही कुछ और होती परंतु सत्य है माताएं सिर्फ जन्म दे पाती हैं और घरेलू जिम्मेदारियों को संभालती हैं। पुरूष का चरित्र ही उलट है , उसमे अहं बहुत ज्यादा है। हालांकि स्त्रियोचित मन के पुरूष की खूब सराहना भी की गई है। खैर विचार सिर्फ इतना सा नहीं करना कि बात सिर्फ स्त्री और पुरूष की परिधि मे रह जाए।

क्या आपके जीवन मे आई हुई समस्या सामाजिक है ? क्या राजनीतिक है ? राजनीति की वजह से भी जीवन समस्याओं से जकड़ गया होगा अगर ऐसा है तो क्यों ? फिर समाज की थिंकिंग पावर के मूल मे उतरना होगा चूंकि व्यक्ति के विचार ही समाज का निर्माण करते हैं और जैसा समाज होगा वैसी राजनीति होगी , समाज का दर्पण कहा जा सकता है राजनीति को।

बहुत से लोगों का मानना है कि राजनीति ने समाज को बदल दिया है तब तो यह और घातक है। यदि राजनीति ने व्यक्तियों की सोच को अपने अनुसार ढाल लिया है , जैसे कि एक साफ्टवेयर तैयार किया जाता है वैसे ही राजनीतिक दलों और राजनीतिक व्यक्तियों ने आपके सोचने के तरीके को बदल दिया है। आप उतना ही सोचते हो जितना वे चाहते हैं और जैसा वो चाहते हैं फिर साफ झलक रहा है कि आपका थिंकिंग साफ्टवेयर किसी और के द्वारा संचालित किया जा रहा है।

आज सोचने का समय है युवाओं के सामने एक बड़ा भविष्य है। वह भविष्य उज्जवल है या अंधकारमय है ? इस भविष्य को प्रकाशमान बनाने की भूमिका मे परिवार , समाज और राजनीति की मुख्य भूमिका है।

मुझे याद है आज भी एक छोटी परंतु बहुत बड़ी बात गाँव के एक युवा ने कहा था कि ” हम अपने मन का करने ही नहीं पा रहे बड़े बुजुर्ग डपट देते हैं ” वो कहने लगते हैं लड़के हो लड़के की तरह रहो अभी बहुत होशियार नहीं हो गए हो ना ज्यादा होशियार बनो ! यह भी एक प्रकार का शासन ही तो है जैसे किसी तानाशाह का शासन हो। यदि अभिभावक अपने बेटे से आज के समय के अनुसार कुछ संवाद कर लें और सहज मन से विचार हो जाए तो हरहाल मे कुछ अच्छा सा हल निकल आएगा व संतान उत्साहित होगी।

सार्वजनिक रूप से नहीं कहा जा सकता वरना ज्यादातर युवाओं के सामने समस्याओं का बड़ा जाल परिवार , पिता आदि परिजन द्वारा ही बुन दिया गया है। जिसमे वर्तमान राजनीति का भी बड़ा योगदान माना जाएगा। गांव भारत की मजबूत कड़ी होनी चाहिए पर मुझे लगता है थिंकिंग पावर के रूप गांव भारत की सबसे कमजोर कड़ी है ?

कितने प्रतिशत लोग आशान्वित होंगे कि आप एक आनंदमय जीवन भविष्य मे जिएंगे ? आज लाकडाऊन मे आप क्या सोच रहे हो ? आपके मन मे भय है ? आप कोई सहारा खोज रहे हो ? इस अंधकार मे एक प्रकाश दीप प्रज्वलित कर जीवन मे प्रकाश की कल्पना कर रहे हो !

इस पूरी व्यवस्था के बीच आप अपने जीवन को कहाँ खड़ा पाते हो ? ये समाज , ये राजनीति और आपके समूचे तंत्र मे आपका जीवन कहाँ है ? तंत्र से याद आया ‘ जाला ‘ मकड़ी का जाल और उस जाल मे मकड़ी अपनी जिंदगी जी रही है लेकिन कब तक ?

सोचिए !

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