
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के निदेशक लक्ष्मीकांत की बोलती तब बंद हो गई जब फार्म कोऑर्डिनेटर जयप्रकाश आदित्य को महिलाओं से अश्लील व्यवहार के आरोपों के चलते पुलिस के समक्ष हाथ जोड़कर माफी मांगनी पड़ी।
इससे पहले लक्ष्मीकांत ने एक वीडियो में जयप्रकाश आदित्य का बचाव करते हुए कहा था कि वे एक वैज्ञानिक हैं और ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते। हालांकि, तीन महिलाओं ने कैमरे के सामने बयान दिया कि खेत में वाशरूम जाते समय जयप्रकाश आदित्य वहां खड़े हो गए और उन्हें घूरते रहे। पहले भी उन पर इस तरह की हरकतों के आरोप लगे थे। लक्ष्मीकांत ने इस पर विवादास्पद प्रतिक्रिया दी, यह कहते हुए कि 170 श्रमिकों में से 100 महिलाएँ हैं और आदित्य ने हर किसी के साथ ऐसा नहीं किया। उनके इस बयान से यह संदेश गया कि कुछ महिलाओं के साथ की गई अश्लील हरकतें उनके लिए मायने नहीं रखतीं।

माफी के बाद लक्ष्मीकांत की रणनीति
माफी मांगने के बाद, लक्ष्मीकांत ने अनिच्छा से जयप्रकाश आदित्य को हटाया, लेकिन इस घटना से नाराज होकर उन्होंने श्रमिकों को हटाने की योजना बनानी शुरू कर दी। आरोप है कि वे वैज्ञानिकों पर दबाव डाल रहे हैं कि वे श्रमिकों की मांग धीरे-धीरे कम करें ताकि विरोध करने वालों को हटाकर नए श्रमिकों को रखा जा सके। कुछ प्रोजेक्ट्स को भी बंद करने की रणनीति बनाई जा रही है।

श्रमिकों ने घोषणा की है कि यदि 31 मार्च तक उनकी मांगों का समाधान नहीं किया गया और किसी भी श्रमिक को निकाला या प्रताड़ित किया गया, तो वे फिर से आंदोलन करेंगे।
श्रमिकों पर अन्याय जारी
चिन्यालीसौड़ में भी श्रमिकों के उत्पीड़न की घटनाएँ सामने आ रही हैं। श्रमिक कौशल्या ने आरोप लगाया कि उनके ईपीएफ खाते में जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है, जिससे वे अपना फंड निकालने में असमर्थ हैं। निदेशक को कई बार पत्र लिखने के बावजूद उनके नाम और पति के नाम की गलतियों को सुधारा नहीं गया, जिससे वे अपने बच्चों की फीस भरने के लिए दर-दर भटक रही हैं।
वहीं, श्रमिक रमेश लाल, जो प्रतिदिन सुबह 4 बजे से रात 9 बजे तक 10 गायों की देखभाल करते हैं, उन्हें सिर्फ 25 दिनों का वेतन दिया जाता है, जबकि वे महीने भर काम करते हैं। उनकी बेटी भी पहले काम करती थी, लेकिन हड़ताल के बाद उसे निकाल दिया गया और उसकी जगह किसी को नहीं रखा गया। जब उन्होंने पूरी हाजिरी के अनुसार वेतन मांगा, तो केंद्र प्रभारी ने नियमों का हवाला देते हुए इनकार कर दिया।
बायोमेट्रिक सिस्टम में धांधली
सूत्रों के अनुसार, श्रमिकों के लिए लाई गई बायोमेट्रिक मशीन का दुरुपयोग किया जा रहा है। एक निष्कासित महिला श्रमिक मीना, जिसे झूठी शिकायत करने के बाद दोबारा रखा गया था, की हाजिरी घर बैठे ही लगाई जा रही है। फार्म मैनेजर सचिन पंवार उसके घर पर बायोमेट्रिक मशीन भेजकर हाजिरी लगवाते हैं, जबकि अन्य श्रमिकों की शिकायत को अनसुना कर दिया गया है।
श्रमिकों का कहना है कि मीना द्वारा पूर्व हेड राघव के खिलाफ की गई झूठी शिकायत की जाँच में आरोप निराधार पाए गए, फिर भी उसे हटाया नहीं जा रहा है। इसके विपरीत, राघव को बिना किसी ठोस कारण के ट्रांसफर कर दिया गया। श्रमिकों का आरोप है कि यह सब लक्ष्मीकांत के इशारे पर हो रहा है, क्योंकि संस्थान में उनका आदेश ही अंतिम माना जाता है।
संस्थान में बढ़ती अव्यवस्थाओं और श्रमिकों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है। यदि प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो यह मामला और तूल पकड़ सकता है।