@Saurabh Dwivedi
योगी के शहर मे कौन है ये मास्क वाली लड़की ? जाने सच !
लखनपुरी कहें या नवाबों का शहर लखनऊ इसकी राजनीतिक सांस्कृतिक विरासत की महक ही अद्वितीय है। जिस लखनऊ का नाम सुनते ही धड़कने तेज हो जाती हैं आज उसी लखनऊ मे संक्रमण का नाम सुनते ही धड़कने वास्तव मे तेज हो जाती हैं। कोरोना की लहर लखनऊ को गिरफ्त मे ले चुकी तो वहीं गरीबों की सुध कौन ले ? ऐसे मे एक लड़की घर से बाहर सड़क किनारे पहुंचती है और फिर …..
वो गरीबों की मदद करने लगती है। रेहड़ी – पटरी वालों से मिलने लगती है। उन्हें कोरोना को बेअसर करने के लिए जागरूक करती है। इस वक्त जागरूकता ही वायरस के खिलाफ का सबसे बड़ा हथियार है। इसी शक्ति का प्रयोग ‘शक्तिस्वरूपा संस्थान’ की हेड रीता शर्मा करती हैं।
उत्तर प्रदेश की बेटी एक छोटा सा संस्थान चलाती है। बेटियों को स्किल डेवलपमेंट के लिए तैयार करती है। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के गुर सिखाती है। इसी पहल मे उन्होंने संस्थान की बेटियों को मास्क बनाना सिखाया व खुद बनाते हुए बेटियों से भी मास्क बनवाए। इस तरह बेटियों के बनाए मास्क लखनऊ मे गरीबों के हाथों मे पहुंचे जो आज संक्रमण के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं।
रीता शर्मा गरीब – मजदूरों के पास पहुंचकर वायरस की भयानकता की जानकारी देती हैं व मास्क लगाने के लिए प्रेरित करती हैं। कपड़े का मास्क देकर खुद की , परिवार की और समाज की रक्षा के लिए आह्वान करती हैं। देश हित मे उनका यह महायज्ञ है। जागरूकता का यज्ञ।
सरकार को ऐसे युवा – युवतियों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। जो देश – समाज हित मे काम करते हैं। नीतियों से अलग हटकर भी ऐसे जागरूक युवाओं को सहयोग यदि मिले तो हमेशा आपदा के समय प्रबंधन मे यह लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वास्तव मे ऐसे युवा विचारों वाले युवक – युवतियां जमीं पर चमकते सितारे हैं जो अंधकार मे प्रकाश करना जानते हैं। सरकार और समाज को भी इनकी जिंदगी मे प्रकाश करना चाहिए।
समाज से भी अपील है कि आपदा प्रबंधन के लिए लेखन कार्य , वैचारिक गोष्ठी और ऐसे सामाजिक कामों को आर्थिक मदद प्रदान कर अवश्य सहयोग करें। कोविड के बाद से हमे समझ मे आ जाना चाहिए कि देश को अब आगे कितनी बड़ी लड़ाई लड़नी है। एक संवेदनशील राजनीतिक परिवर्तन होना आवश्यक है , प्रशासन और व्यवस्था मे भी आमूलचूल परिवर्तन हरहाल मे होने चाहिए अन्यथा सच है कि महामारी ने हमे बता दिया है कि तुम्हारे जीवन का मूल्य क्या है ? इस बीच हमारे सामने एक जिम्मेदार नागरिक बनने व जिम्मेदार नागरिक निर्माण करने की बड़ी चुनौती नजर आ रही है।
यदि सभी को जीवन की शिक्षा मिलती और आपदा प्रबंधन मे कुशल होते तो सचमुच यह महामारी जीवन को इस तरह प्रभावित नहीं कर पाती जैसे आज मनुष्य के रीढ़ की हड्डी टूट चुकी है , हम भय मे हैं और जीवन का आनंद खो चुका है। इसलिए सरकार और समाज को पुनरूत्थान के लिए मदद करना चाहिए जिससे जीवन मे उत्साह भरा जा सके और संसार पुनः चल पड़े।