By :- Saurabh Dwivedi
एक छोटे से कस्बे का युवा व्यापारी। एक छोटा सा युवा व्यापारी। जिन्होंने लाकडाउन के वक्त कस्टमर से अच्छे रिश्ते बनाकर रखे , उनकी भी सेवा की जो उधार लेकर क्वाॅरंटीन हो जाते हैं। अब लाकडाउन मे मिली छूट के बाद व्यापार के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। इनका कहना है कि यह वक्त कमाने के साथ निभाने का भी है।
हाँ ! जनपद चित्रकूट के कस्बा पहाड़ी में शारदा टेलीकॉम के नाम से मोबाइल शाॅपी चलाने वाले युवा व्यापारी शारदा विश्वकर्मा की संघर्षशील दास्तान है , जिन्होंने कभी छोटे से पीसीओ से व्यापार की शुरूआत की थी। अब पीसीओ का जमाना गुजर गया पर मोबाइल मनुष्य की जिंदगी से जुड़ा रहा। इन्होंने आगे इसी व्यापार को अपनाया।
जैसे-जैसे ये व्यवसाय के सफर मे आगे बढ़े तमाम संघर्ष के बाद एकाएक इनका भी सामना कोरोना वायरस से हो गया। देश मे लाकडाउन हो गया। व्यवसाय का चक्का थम गया। किन्तु टेक्नोलॉजी ने धीमी गति से सही कुछ ना कुछ व्यवसाय का चक्का चलने दिया।
जनता कर्फ्यू के बाद से इन्होंने फोन द्वारा बात करते हुए अपने ग्राहकों की सेवा की। प्रत्येक आने वाली काॅल पर खैरियत पूंछना आम बात हो जाती है। खैरियत के बाद ग्राहक की सेवा हाजिर हो जाती। कभी आनलाइन ट्रांजैक्शन कस्टमर द्वारा मिल जाता या फिर कभी अगले दिन – अगली सुबह पर बात टिक जाती। इन्होंने सभी के नंबर्स पे रिचार्ज किए। साथ ही अन्य आपातकालालीन सेवा नियमतः देते रहे।
जब सरकार द्वारा इनको तनिक छूट मिली तब शाॅप के सामने कोरोना से बचने के उपाय वाला बोर्ड लगा दिया। सोशल डिस्टेंस का पालन करने एवं सैनेटाइजर से हाथ धुलने की अपील रख दी।
जब हमने इनसे बात की। कि इस वक्त आप पर और आपके व्यवसाय पर कितना अंतर आया ? तो ये उस अंतर को एक तरफ रखकर मोटा – मोटी जानकारी देकर वर्तमान पर चर्चा करने लगे। भविष्य मे संक्रमण समाप्त होने की उम्मीद पर चर्चा करने लगे।
एक उधार लेने वालों का दर्द इसलिए बयां करने लगे कि जो लोग उधार लेकर वापस नहीं करते उनकी वजह से बहुत से अच्छे लोगों को भी शक की निगाह से देखना पड़ता है। इन्होंने कहा कि उधार लेकर ना देने वालों का प्रतिशत बहुत कम है , मुश्किल से दो से 5% तक ! किन्तु ये लोग मन – मस्तिष्क मे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कर देते हैं।
जो लोग उधार लेते हैं और समय पर वापस करते हैं। उनसे एक अच्छी सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और हमेशा उनके साथ व्यवहार करने मे आनंद मिलता है। जिनसे मिलने की उम्मीद नहीं थी फिर भी संकट के समय उन्हें उधार दिया लेकिन वह पुनः वापस ना करके मन खराब कर गए।
युवा व्यापारी शारदा विश्वकर्मा कहते हैं कि प्रत्येक नागरिक के चरित्र से देश बनता है। इस वक्त प्रत्येक नागरिक को भूमिका निभानी है। मैंने तय किया है कि मेरी शाॅप पर जो भी क्रय – विक्रय हेतु आएगा , उन्हें मास्क लगाने को कहूंगा। हमेशा सोशल डिस्टेंस बनाए रखने के लिए कहूंगा। मुझे अपने प्रत्येक ग्राहक के स्वास्थ्य की चिंता है। उन ग्राहकों की चिंता जिनसे मैंने दो पैसा कमाकर स्वयं की जिंदगी मे सुख महसूस किया है।
इसलिए मैं अपने प्रतिष्ठान से राष्ट्र की प्रतिष्ठा के लिए काम कर रहा हूँ। व्यापार के साथ जागरूक करने वाला संवाद ग्राहक से करता रहूंगा। मेरे ग्राहक से मेरा अच्छा रिश्ता ही सफलता का राज है।
ये सच है कि इस वक्त देश और समाज को जिम्मेदार युवा ही संजीवनी प्रदान कर सकता है। इन युवा व्यापारी जैसे युवाओं से ही देश सशक्त – समृद्ध बनता है।
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