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@Saurabh Dwivedi

स्लम एरिया मे बच्चों की खराब स्थिति से हर कोई वाकिफ है। ऐसे एरिया तक पहुंचकर समाजसेवा की शुरूआत करना एक बड़े उद्देश्य को साकार करना है। लिव फाॅर अदर्स संस्था की अध्यक्ष ऊषा शुक्ला इन्ही स्लम एरियाज तक लगातार पहुंचती रहीं। यहाँ के प्रत्येक बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए टाॅफी , बिस्किट और समोसा खिलाना और उसी समय साथ मे क्वालिटी टाईम व्यतीत करना इनका सगल बन गया। यहीं से संस्था का वह नाम चरितार्थ होने लगता है जिसका अर्थ है दूसरों के लिए जीना , एक जीवन ऐसा जो दूसरों के लिए जिया जाए….

भारत जैसे देश मे गाय लगातार एक बड़ा मुद्दा है। जिसका राजनीतिकरण खूब हुआ किन्तु असल मायने मे इसका समाजीकरण होना चाहिए। संस्था ने गाय के मुद्दे के समाजीकरण के लिए प्रयास करना शुरू किया। लोगों मे जन जागरूकता लाने का प्रयास किया गया कि गाय की सेवा नागरिक का कर्तव्य है। कुछ एक घटनाएं ऐसी घटीं जब सड़क के किनारे गोवंश बेसुध अवस्था मे था। जिन्हें तत्काल इलाज की आवश्यकता थी। उस समय भी संवेदनशील हृदय की संस्था अध्यक्ष ऊषा शुक्ला ने चिकित्सक से संपर्क किया और गोवंश को स्वास्थ्य लाभ दिलाया। गाय एक सामाजिक आवश्यकता है और समाज को ही इसके संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्य करना होगा तभी गोवंश की बदहाली की कहानी समाप्त होगी।

संस्था गरीब वर्ग के प्रति समर्पित उद्देश्य से कार्य करती है। ठंड के मौसम में अक्सर गरीबों के पास कंबल आदि ऊनी वस्त्र खरीदने की व्यवस्था नही हो पाती इसलिए ठंड के दिनों में गरीबों तक पहुंच कर वस्त्र और कंबल आदि का वितरण भी किया जाता रहा है। जिससे गरीबी से मजबूर व्यक्ति ठंड के खिलाफ मजबूत रह सके और इस प्रकार जीवन रक्षा हो सके।

स्वच्छता अभियान भारत मे 2014 के बाद मुख्य मुद्दा बनकर सामने आया है। लगातार स्वच्छता के लिए शासन – प्रशासन ने अपील की है। लेकिन संस्था पूर्व से ही स्वच्छता जैसे विषय पर जागरूकता कार्यक्रम चलाती रही और लोगों को यह बताने का काम किया जाता रहा कि स्वच्छता और स्वास्थ्य का रिश्ता क्या है ? इसलिए ग्रामीण बस्तियों मे एंटी लार्वा का छिड़काव भी करवाया गया। जिससे हानि पहुंचाने वाले कीट मृतप्राय हों और इनसे जनित बीमारियों पर अंकुश लग सके.

महिलाओं की दयनीय स्थिति की आवाज लगभग प्रत्येक सामाजिक मंच पर उठती रहती है। उन्हीं मे से एक ऊषा शुक्ला हैं जो लिव फाॅर अदर्स की अध्यक्ष होने से पहले एक महिला हैं और उन्होंने महिला हित के लिए ना सिर्फ आवाज बुलंद की अपितु एक बार का वाकया वो बताती हैं कि सड़क किनारे बेहोश हालत मे एक महिला को देखा और लोग निकलते चले जा रहे था , तभी मैं ठिठक गई थी ! उसी पल मैंने उस महिला को संभालने की कोशिश की फिर पुलिस की सहायता लेकर उनका इलाज भी कराया।

इसी तरह सड़क किनारे एक वृद्धा पड़ी मिलीं जो बेघर हो चुकी थीं। एकदम अस्वस्थ हालत मे सड़क किनारे रहती थीं। इस मामले मे एक संस्था हेल्पिग इंडिया का साथ मिला और हमने बलरामपुर हास्पिटल मे उनका इलाज कराया उसके बाद वृद्धाश्रम मे रहने का इंतजाम किया।

लिव फाॅर अदर्स वृक्षारोपण के लिए लगातार अभियान चलाने वाली संस्था है। असल मे वृक्ष का जीवन संस्था के उद्देश्य से समानता रखता है जैसे वृक्ष मनुष्यों के लिए जीते हैं अर्थात दूसरों के लिए जीते हैं। वृक्ष का जीवन दूसरों को जीवन देने के लिए होता है यही बात कहते हुए संस्था की अध्यक्ष ऊषा शुक्ला ने बताया कि संस्था का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और मलिन बस्तियों के बच्चों के जीवन स्तर मे सुधार लाना उनके शैक्षिक जीवन का संरक्षण संवर्धन करना है। संस्था पहले उत्तर प्रदेश फिर अरूणाचल प्रदेश और अब उत्तराखंड मे भी काम कर रही है।

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