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By :- Saurabh Dwivedi

हैंडपंप लगाने की प्रक्रिया से सभी वाकिफ हैं। यह सभी को पता है कि एक हैंडपंप धरती का सीना चीरकर लगाया जाता है। धरती की उस गहराई तक बर्मा डाला जाता है , जब तक पानी ना मिल जाए। पानी ना भी मिले तो भी धरती को अंदर तक चीर दिया जाता है !

बोरवेल से पानी तभी निकलता है , जब पानी की सतह तक पहुंच कर बर्मा को विराम दिया जाता है। यह काम एक मशीन करती है। वह मशीन धरती को इस तरह गोलाई से चीरती चली जाती है कि बस अब पानी निकल आए।

बेरहम होकर मशीन धरती का सीना चीरती रहती है। अंततः पानी मिल जाता है और लोगों को पानी मिलने से जिंदगी मिल जाती है।

ऐसा ही हम इंसानों की जिंदगी मे है। कुछ लोग बोरवेल मशीन की तरह बेरहम होते हैं। ऐसे तमाम लोग जिंदगी में मिलते हैं जो बेरहमी से चोट पहुंचाते हैं।

ये बेरहम लोग सरलता – सहजता और त्याग – समर्पण को महसूस ना करके सरल सहज लोगों को मशीन की तरह चीरते हैं !

अपितु इनकों यह अंदाजा नहीं होता कि कोई ऐसा व्यक्ति मिल सकता है , जिसके अंदर से पानी निकल सकता है। इस प्रक्रिया में उसे जिंदगी तो मिलेगी साथ ही वह तमाम लोगों को जिंदगी दे जाएगा।

चूंकि जितनी बार बेरहम मशीन की तरह के लोग मिलेंगे उतना ही अनुभव बढ़ेगा। प्रत्येक अनुभव के साथ सोच अधिक गहरी होती जाएगी। इतनी गहरी सोच होने लगेगी कि उस सोच से जल समान निर्मल जीवनदायी संजीवनी स्वरूप विचार उभरने लगेगें।

फर्क सिर्फ इतना सा होगा कि बेरहम मशीन की तरह के लोग जब तक समझेंगे तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। उनके मशीनी कृत्य से किसी को वैचारिक अमृत मिल चुका होगा। उसकी सोच की गहराई नया आयाम प्राप्त करेगी।

हालाँकि जिंदगी में उतना ही दर्द हो सकता है , जितना कि धरती को बोरवेल मशीन दर्द पहुंचाती है। पर यही धरती है जो जीवन को आश्रय प्रदान करती है। वह जल भी देती है और कदम रखने के लिए कदम – कदम जगह देती है। प्रवास के लिए छाया भी प्रदान करती है।

इसलिये जब भी जिंदगी में धोखा मिले। कोई सरलता और समर्पण के भाव को ना महसूस करे तो समझें कि प्रकृति की बोरवेल मशीन काम कर रही है। वह आपको अधिक गहराई से सोचने लायक बना रही है।

प्रोफेशनल वर्ल्ड में प्रोफेशनल लाइफ में ऐसे तमाम लोग मिलते हैं , जो मात्र टीका – टिप्पणी के लिए होते हैं। ऐसे लोग मन – मस्तिष्क को आघात पहुंचाते हैं। एक ना एक दिन ऐसे लोगों को भी वक्त आईना दिखाता है। साथ ही गहराई से सोचने का अवसर मिलता है कि हमें जिंदगी मे एक और अनुभव मिला।

इंसान अपनी प्रकृति नहीं खोता। बस कुछ समय के लिए शांत हो सकता है और चुप्पी अगर सहज है तो यह भी अच्छे व्यक्तित्व का संकेत है। आवश्यकता सिर्फ इस बात की है कि जिंदगी में उन्नति के लिए खुद का आधार मजबूत रखना चाहिए अन्यथा पल भर में राजनीतिक दलों की तरह गठबंधन तोड़कर सड़क पर लाने के लिए तमाम लोग मिलेंगे , यही वो बोरवेल मशीन हैं !

कटु अनुभव के बावजूद आपकी सोच अगर गहरी होती है तो यह जिंदगी में भविष्य के लिए अच्छा है।

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