@Saurabh Dwivedi
चित्रकूट / यूपी : महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस ने कहा था कि पेड़ – पौधों मे भी जीवन होता है , इसका बकायदा परीक्षण भी हुआ था। सोमवार को सुबह लगभग दस बजे कर्वी – राजापुर मार्ग में बाबूपुर मोड़ के पास सीसम का एक वृक्ष तैंतीस हजार बोल्ट की तार से घायल हो गया , वृक्ष की मजबूत भुजाएं जल कर धू – धू जलने लगीं और धुंआ उठने लगा। जानकारी मिलने पर बिजली विभाग ने अग्निशमन भेजकर आग बुझाने का प्रयास किया।
किन्तु बड़ा सवाल है कि तारें वृक्ष के समीप से गुजर रही हैं और लगातार प्रत्येक वर्ष ऐसा होता है कि बारिश के दिनों में शाखाओं के बढ़ते ही तारें शाखाओं से आलिंगन करने लगती हैं। इसलिए यह प्रथम दृष्टता लापरवाही है कि पेड – पौधों के जीवन को ना महसूस करते हुए उन्हें जलकर खाक होने के लिए बिजली की तारों से लिपटा रहने के लिए छोड दिया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण हेतु काम करने वाली संस्थाओं के लिए यह बड़ा मुद्दा है कि वृक्ष के जीवन को बिजली विभाग आखिर महसूस क्यों नहीं कर रहा है। जिस प्रकार से करंट मनुष्य का रक्त चूसकर सुखा देती है , ठीक वैसे ही सीसम के वृक्ष की स्वस्थ -पुष्ट बुझाएं जलकर सूख चुकी हैं।
यह पेड – पौधों के जीवन के प्रति घोर लापरवाही का मामला है। बिजली विभाग से पेड पौधों के जीवन के संबंध में व पर्यावरण संरक्षण के संबंध में पूछताछ होनी चाहिए। वैश्विक पर्यावरण संरक्षण की संस्थाएं इस हेतु सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं।
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Saurabh Chandra Dwivedi
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तभी तो कहा गया है एक वृक्ष दश पुत्र समान।