चित्रकूट जनपद मे रुक्मणी सेवा संस्थान के संरक्षक अशोक दुबे समाजसेवा करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र पुणे से पुनः जन्मस्थली उत्तर प्रदेश मे बस गए हैं। कौशांबी जनपद के हटवा अब्बासपुर की इनकी पत्नी प्रधान हुई हैं। समाजसेवा का ही परिणाम था कि गाँव ने लोकतंत्र मे अपना राजा रूपी सेवक चुनकर अशोक दुबे को समाजसेवा के क्षेत्र मे काम करने का अमृत प्रदान किया।
रुक्मणी सेवा संस्थान के रजिस्ट्रेशन से लेकर भूख मुक्त भारत अभियान की शुरुआत कराने मे इनका ही सबसे बड़ा योगदान है। जब अशोक दुबे का जन्मदिन मनाना था तब संस्था के संस्थापक अतुल रैकवार ने इच्छा व्यक्त की थी कि आपके जन्मदिन पर क्यों ना गरीब लोगों को भोजन कराया जाए जो बिल्कुल मुफ्त होगा फिर पैसे की परवाह ना करने वाले अशोक दुबे ने पुणे से मनी ट्रांसफर कर भोजन हेतु सहयोग प्रदान किया और फिर रसोईं घर से लेकर भूख मुक्त भारत का स्लोगन रुक्मणी सेवा संस्थान की पहचान बना।
अब संरक्षक के उद्देश्य के अनुसार संस्था की ओर से राजापुर के सरधुवा थाना क्षेत्र मे निःशुल्क शिक्षण संस्थान की स्थापना की गई है। जिसका शुभारंभ फीता काटकर संरक्षक अशोक दुबे ने किया। वह कहते हैं कि बचपन से अच्छी शिक्षा मिलेगी तो बड़े होकर हमारे बच्चे नाम रौशन करेंगे।
अच्छी शिक्षा के लिए समाज और परिवार मे अच्छा माहौल जरूरी है। समाज और परिवार को समझना होगा कि जो प्रयास उज्जवल भविष्य के लिए किए जा रहे हैं उनमे अच्छे माहौल की बड़ी भूमिका है। इसलिए अशोक दुबे जैसे समाजसेवी व्यक्तित्व के प्रयास को सफल बनाने के लिए सभी को ऐसा सहयोग करना चाहिए कि अच्छा माहौल मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम रखे।
इस मौके पर जनपद की समाजसेवी नेत्री माया प्रजापति भी नजर आईं। साथ ही अन्य समाजसेवी सोच के लोग सराहनीय कार्य मे उपस्थित रहे। सभी ने देश और समाज के उज्जवल भविष्य की कामना की और एक सोच विकसित हुई कि सहयोग से जिएंगे सबकी जिंदगी सुखद रहे इसके लिए हम मिलकर काम करेंगे। दुख का गरीबी का अंधेरा छंटेगा सुख का अमीरी का उजियारा फैलेगा।