चित्रकूट के चाचा भतीजे को कौन नही जानता होगा ! चुनावी चर्चा मे सबकी जुबान पर चाचा नरेन्द्र गुप्ता और भतीजा शानू गुप्ता की तीखी – मीठी जंग की चर्चा जरूर रहती थी , जिसका चुनाव पर असर बहुत व्यापक होने वाला था। इसलिए भाजपाई खेमे ने सबकुछ पहले से ही तय कर लिया था।
चूंकि भाजपा को नगरपालिका चुनाव मे जीत की गारंटी देने वाला एक ही प्रत्याशी नजर आया जो शानू गुप्ता के चाचा नरेन्द्र गुप्ता हैं। शानू गुप्ता भी टिकट मांग रहे थे तो चाचा की जमकर खिलाफत कर रहे थे। सभी मानकर चल रहे थे कि शानू चुनाव जरूर लड़ेंगे और नामांकन की अंतिम तारीख को शानू नामांकन करेंगे यह तय हो चुका था।
अब चित्रकूट नगरपालिका के प्रभारी देवेश कोरी का समय आया तो वह रातों-रात चित्रकूट आ गए और शानू गुप्ता से बातचीत का दौर लंबा चला , इधर तेइस की शाम तक चाचा नरेन्द्र गुप्ता का भी दिल भतीजे शानू के लिए पिघल रहा था।
प्रदेश उपाध्यक्ष देवेश कोरी ने शानू गुप्ता को चाचा नरेन्द्र गुप्ता के पक्ष मे रातों-रात मना लिए थे। इसलिए सुबह एक उम्मीद की किरण के साथ देवेश कोरी नामांकन जनसभा पहुंचे तो पीछे पीछे शानू गुप्ता थे , साफ संदेश गया कि भाजपा के इस नेता ने बड़ा खेल कर दिया।
जनसभा मे चर्चा का विषय हो गया कि चुनाव प्रभारी देवेश कोरी का दिल और दिमाग बहुत चलता है और चुनाव बड़ी गंभीरता से लड़ा जा रहा तब तो चाचा भतीजे की इतनी बड़ी तकरार को इश्क मे तब्दील कर दिया , प्रदेश उपाध्यक्ष देवेश कोरी ने।
कुलमिलाकर के भाजपा के देवेश कोरी ने डैमेज कंट्रोल करने मे बड़ी सफलता अर्जित की है , अभी पर्चा वापसी तक भाजपा का ये चुनाव प्रभारी चौकाने वाले कार्य कर सकता है जिससे विपक्षी उम्मीदवारों को बड़ा झटका लग सकता है चूंकि देवेश कोरी का इतिहास भी रहा है वह महोबा आदि जनपदों के प्रभारी रहे तो वहाँ भाजपा जीती जरूर है।