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@Saurabh Dwivedi

स्पंदन

एक रोज
महसूस हुआ

तस्वीर से
प्रेम नहीं होता है

जिस तस्वीर से
प्रेम होता है

जिस तस्वीर से
हम प्रेम करते हैं

असल मे
वो तस्वीर
हमारी आत्मा होती है

हम आत्मा से
प्रेम कर रहे होते हैं
तस्वीर महज
एक माध्यम होती है
स्पंदन का ….

तुम्हारा ” सखा “

प्रतिध्वनि

मैंने
ध्वनि दी
उसको प्रेम की

हमेशा
प्रतिपल
आने वाली
श्वांस से

कंठ संग अधर से
तरंगित कर दी
प्रेम ध्वनि

संक्षिप्त में
पलकें बंद होने की तरह
बुदबुदाया ” आय लव यू ” ।

प्रतीक्षा में
उसकी प्रतिध्वनि के …..

तुम्हारा ” सखा “

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Saurabh Chandra Dwivedi
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Karwi Chitrakoot }

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