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@Saurabh Dwivedi

क्या आप आजाद हैं ? चंद्रशेखर आजाद सचमुच आजाद थे ! उन्होंने आजादी से मौत को गले लगाया लेकिन आप अपने ही देश की राजनीतिक , वैधानिक और सामाजिक व्यवस्था मे आजाद हैं अगर हाँ तो कैसे और अगर ना तो आप वास्तविक आजादी के लिए क्रांति और गांव – गांव संवाद करेंगे ?

अंग्रेजों से आजाद होने का मतलब आजादी मिल जाना है तो फिर ऐसी क्रांति कहाँ होगी ? कब होगी ? जिन्हें आजादी मिल चुकी है वो सिर्फ नमन करेंगे , शीष झुकाएंगे और आजादी के भ्रम मे रहेंगे।

असल आजादी आई कहाँ ? क्या जीवन आपका आजाद है ? क्या भ्रष्टाचार से आजादी मिली ? क्या उच्च जीवन स्तर मिला ? क्या एक सुखद जिंदगी जी रहे हैं ? क्या आपके आसपास सबकुछ ठीक-ठाक है ? क्या आपके जनप्रतिनिधि आपके लिए काम कर रहे हैं ? क्या अफसर आपके लिए काम कर रहे हैं और आजादी का अहसास कराते हैं ?

क्या आपको ऐसा नहीं लगा कि आजादी के भ्रम मे कहीं हम अपने ही देश के कर्ताधर्ताओं के गुलाम नहीं हैं ? क्या आपको समाज मे आजादी महसूस हुई है ?

आपके जवाब मे ही आपकी वास्तविक आजादी का रहस्य है ! वैसे अब भारत मे क्रांति असंभव सी है। अब भारत में सत्तर साल तक संवाद कर अच्छे – जागरूक नागरिक निर्माण कर पुनः राष्ट्र निर्माण हो सकेगा ? क्या इसके लिए सौ साल दिए जा सकते हैं ? बहुदलीय प्रणाली में युवा ही मानसिक संक्रमित हो चुका है फिर कोई हथियार उठाए या ना उठाए पर चंद्रशेखर आजाद जैसा क्रांतिकारी व्यक्तित्व का धनी नहीं हो सकता।

नमन कर रहा हूँ। वैसे भी हम श्रद्धांजलि देने और नमन करने वाले प्राणी मात्र हैं। क्रांति का समयानुकूल अनुकरण करना अब भारतीयों के वश मे कहाँ ?

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Saurabh Chandra Dwivedi
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Karwi Chitrakoot }

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