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पहाड़ी चित्रकूट : बीमार ही बीमारी का दर्द महसूस करता है और डाक्टर बीमार का दर्द बखूबी समझते हैं फिर भी ऐसे डाक्टर भी मिलते हैं जो मासूमों के इलाज को प्राथमिकता ना देकर मेडिकल बनाने मे घंटो व्यतीत करते हैं और पर्चे अपने पास रखे रहते हैं।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहाड़ी मे पुलिस किसी अपराधी का मेडिकल कराने पहुंचती है। महिलाएँ और मासूम बच्चे डा. दिपांशू के पास पर्चे लेकर लाइन पर लगे हुए थे , उनके पर्चों को सहयोगी डा. साहब के पास जमा करते जा रहे थे और मरीजों को इंतजार करने को कहा जा रहा था।

अब पुलिस के साथ डाक्टर साहब व्यस्त हो गए बाद मे गोपनीयता के नाम पर कुछ देर के लिए दरवाजा भी बंद कर लिया गया। दरवाज बंद होने पर पड़ताल की गई तो पता चला कि यह रेपिस्ट का मेडिकल था इसलिए डीएनए वगैरा की जांच के लिए किया गया होगा।

बड़ा सवाल यह है कि मासूमों की साँसे थम जाने मे संभवतः एक पल ही लगेंगे लेकिन डाक्टर साहब को मेडिकल बनाना ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों लगा ? पर्चे डाक्टर साहब के पास रखे हुए हैं तो बगल के केबिन मे बैठी लेडी डाक्टर आकांक्षा भी कैसे इलाज कर देतीं ? विकल्प के तौर पर बेशक कोई एक डाक्टर हो लेकिन चिकित्सा के पेशे की जो पहली जिम्मेदारी है और मानवीय है उसकी उम्मीद डा. दिपांशू से ही की जा सकती है।

एक डाक्टर के व्यक्तित्व का सबसे प्रमुख तत्व मानवीय होना है , संवेदनशील होना और डा. दिपांशू से सवाल – जवाब होने पर भी उनमे मानवीय तत्व झलका नही अपितु वह तो खासे नाराज होने लगे जबकि सवाल मासूम बच्चों के इलाज और जीवन की साँसो को लेकर था कि रेपिस्ट का मेडिकल तो 2 बजे के बाद भी हो जाएगा फिलहाल जिस बचपन इलाज की जरूरत है और उनका बाल अधिकार संरक्षण कानून भी है इन सब मूल अधिकार का उल्लंघन करते हुए नजर आ रहे थे।

यह सत्य है कि भारत मे इस घटना पर कुछ हो या ना हो लेकिन कोई और देश होता तो ऐसे चिकित्सक को फौरन सेवा से मुक्त कर दिया जाता चूंकि जिनका मानवीय पक्ष ही कमजोर है वह कल्याणकारी सेवा मे रहने के अधिकारी नही होते। बेशक डिग्री कितनी भी बड़ी ली हो पर मानवता और कल्याणकारी भावना ना हो तो वह चिकित्सक के पेशे के साथ कभी न्याय नही कर सकता।

फिलहाल चित्रकूट जनपद मे मंत्री जी मुर्दे को फल देकर चले जाते हैं तो ऐसे ही चिकित्सक जिम्मेदार हैं खराब स्वास्थ्य व्यवस्था के अब अगर स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक मानवता और सरकार की कल्याणकारी भावना के मजबूत पक्ष को देखे तो ऐसे चिकित्सक को कुछ ना कुछ दंड तो मिलना ही चाहिए जिससे भविष्य मे पहले मासूमों को इलाज मिल सके।

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