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दिव्या त्रिपाठी कहती हैं कि पानी पर सवाल ना करके काम करें और हम सबको मिलकर काम करने की आवश्यकता है , कोई इस जहाँ मे अकेले कुछ नही कर सकता। यहाँ तक कि मां गंगा को लाने मे 60,000 सगर पुत्रों का योगदान था तो भागीरथ अंतिम पुत्र थे जो मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए विख्यात हैं।

कहते हैं हौसलों की उड़ान काफी है किसी भी काम की सिद्धि के लिए ऐसा ही काम विगत अनेक वर्ष से पानी को लेकर सेमरिया जगन्नाथवासी की पूर्व प्रधान दिव्या त्रिपाठी कर रही हैं तो इस बार उन्होंने फेसबुक पोस्ट पर जानकारी भी दी कि सामूहिक प्रयास से तालाब भरे जा सकते हैं।

फेसबुक पर गांव के तालाब की पोस्ट डालते हुए लिखती हैं कि तालाब के आसपास के ट्यूबवेल वालों से हमने निवेदन किया तो उन्होंने हमारे निवेदन को स्वीकार कर तालाब भराने का काम किया है। अब ये तालाब पानी से लबालब हो चुके हैं और पशु – पक्षियों को ठहरने का स्थान मिल गया है।

असल मे गाँव को पानीदार बनाने के बाद नेशनल क्लाइमेट चेंज 2023 के प्रोग्राम मे पैनलिस्ट के तौर पर जब आप शामिल हुई थीं तो जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई और इस जिम्मेदारी को एक बार फिर साबित किया तो फेसबुक पर यूजर्स उनके इस काम की तारीफ इस तरह कर रहे हैं….

यूजर्स का कहना है कि इनके इस काम से प्रेरणा लेकर अन्य गांव मे भी सूखे तालाब भरे जाएं तो पशु – पक्षियों को पीने का पानी मिलेगा और रात भर पक्षी वृक्ष मे ठहर सकेंगे। प्रकृति का वरदान हैं तालाब , कुएं इसलिए जब तक कुएं और तालाब हैं तब तक पृथ्वी मे जीवन है।

इसलिए दिव्या त्रिपाठी कहती हैं कि पानी पर सवाल ना करके काम करें और हम सबको मिलकर काम करने की आवश्यकता है , कोई इस जहाँ मे अकेले कुछ नही कर सकता। यहाँ तक कि मां गंगा को लाने मे 60,000 सगर पुत्रों का योगदान था तो भागीरथ अंतिम पुत्र थे जो मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए विख्यात हैं।

वह कहती हैं सभी फेसबुक फ्रेंड्स का आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने सराहना कर भविष्य मे ऐसे काम करने के लिए शक्ति प्रदान की और सबकी इच्छा से अन्य गांव मे भी सेमरिया जगन्नाथी की तरह जलमग्न तालाब हों , खुशी मे मगन मनुष्य अच्छा लगता है तो जलमग्न तालाब वैसे ही अच्छे लगते हैं और निश्चित रूप से प्रकृति हमे आशीर्वाद देती है।

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