चित्रकूट : तपस्वी श्रीराम की मर्यादा के लिए प्रसिद्ध चित्रकूट मे राक्षसों का प्रभाव प्राचीन समय से रहा है , ऐसे ही पंडा पुजारी राक्षस की तरह व्यवहार करते पाए जाते हैं। जैसे उन राक्षसों ने नया जन्म लिया हो और श्रीराम की मर्यादा को भंग कर आज भी सीता मइया से बदला ले रहे हों।
अनेको बार पर्वत के अंदर से चीख चिल्लाहट सुनाई थी कि अरे यहाँ लूटते हैं। यहाँ जबरन मांग होती है। इन लोगों का कोई ईमान – धर्म नही है। अंततः भक्त मन मे पंडे पुजारियों का दुख पाल कर वापस हो जाता है।
इन पंडे पुजारियों को आभास नही होगा कि पाप कर रहे हैं। भौतिक माया के जाल मे फंसे पंडा पुजारी हर वक्त मां सीता का हरण कर रहे हैं हकीकत मे यह मायावी रावण हैं जो पंडा पुजारी के वेष मे सीता रसोई मे बैठे हुए हैं।
कलयुग मे कलह उत्पन्न कर आज भी रावण राम और सीता से बदला ले रहे हैं। राम – सीता के भक्तों को जबरन लूटने का काम करते हैं।
भोपाल से आए भक्त संजय शर्मा ने बताया कि जैसे ही सीता रसोई मे प्रवेश करो पंडे – पुजारी एक्टिव हो जाते हैं ना औरत देखते ना पुरुष बस उन्हें जबरन छेड़ना है कि यहाँ चढ़ाव वहाँ चढ़ाव।
चश्मदीद बताते हैं कि एक पंडा ने एक भक्त स्त्री के कंधे पर बेलन रखते हुए जोर सी आवाज मे बोलता है यहाँ चढ़ाया जाता है , वह स्त्री डर जाती है।
इस प्रकार से सीता रसोई के अंदर डर का माहौल पैदा किया जा रहा है। इसलिए एक बार जो सीता रसोई हो आता है वह दोबारा नही जाता है। किन्तु बाहर से आए हुए भक्तों को इसका संज्ञान नही रहता तो उन्हें ऐसे दुर्दांत पंडा पुजारियों द्वारा लूट लिया जाता है।
पंडा पुजारियों के ऐसे खराब व्यवहार पर शासन प्रशासन को नजर रखनी चाहिए। या खुद पंडे पुजारियों को अपने व्यवहार मे परिवर्तन लाना चाहिए। एक अच्छा लोक व्यवहार लोगों को हमेशा दर्शन के लिए आकर्षित करेगा और बूंद बूंद से घड़ा भरता है तो भक्त समर्पण भाव से दान अवश्य कर देते हैं और उतने मे ही सीता रसोई की व्यवस्था का संचालन हो सकता है।
चित्रकूट की धार्मिक – आध्यात्मिक छवि को बनाए रखने के लिए लोक व्यवहार की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।